Tuesday, May 26, 2020

दो महीने का Lockdown Shopping Malls का कर गया 90 हजार करोड़ का नुकसान

नई दिल्ली। जहां एक ओर रिटेल सेक्टर ( Retail Sector ) को लॉकडाउन ( Lockdown ) में बड़ा नुकसान हुआ है। वहीं दूसरी ओर दो महीने से बंद शॉपिंग मॉल्स ( Shopping Malls ) के कारोबार को भी कम नुकसान नहीं हुआ है। शॉपिंग सेंटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ( SCAI ) की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार पिछले दो महीनों में लॉकडाउन के कारण सेक्टर को 90 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। संगठन ने मांग की है कि सेक्टर को रेपो रेट में कटौती ( Repo Rate Cut ) और आरबीआई ( RBI ) द्वारा विस्तारित ऋण स्थगन से अधिक की जरूरत है। उद्योग मंडल के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक ( reserve bank of india ) द्वारा किए गए राहत उपाय उद्योग की लिक्विडिटी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

छोटे शहरों में 1,000 Shopping Malls
एससीएआई के अनुसार, एक आम गलतफहमी है कि शॉपिंग सेंटर का उद्योग केवल बड़े डेवलपर्स, प्राइवेट इक्विटी प्लेयर्स और फॉरेन इंवेस्टर्स के निवेश के साथ महानगरों और बड़े शहरों के आसपास ही केंद्रित है। आगे कहा गया, कि हालांकि, तथ्य यह है कि अधिकांश मॉल एसएमई या स्टैंडअलोन डेवलपर्स का हिस्सा हैं। यानी 550 से अधिक एकल स्टैंडअलोन डेवलपर्स के स्वामित्व वाले हैं, जो देश भर में 650 संगठित शॉपिंग सेंटरों से बाहर हैं और छोटे शहरों में ऐसे 1,000 से अधिक छोटे केंद्र हैं।

नहीं हुई कमाई
एससीएआई के अध्यक्ष अमिताभ तनेजा ने कहा कि संगठित खुदरा उद्योग संकट में है और लॉकडाउन के बाद से कुछ भी कमाई नहीं हुई है। ऐसे में उनका अस्तित्व दांव पर लगा हुआ है। जबकि ऋण पुनर्भुगतान स्थगन का विस्तार कुछ राहत की बात करता है, लेकिन इससे कुछ खास मदद नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार की दीर्घकालिक लाभकारी योजना की बहुत ज्यादा आवश्यकता है।

शॉपिंग सेंटर्स हो सकते हैं दिवालिया
तनेजा ने कहा कि सबसे सुरक्षित, जवाबदेह और नियंत्रित वातावरण होने के बाद भी मॉलों को खोलने की अनुमति नहीं दी गई है, जिससे कई लोगों की नौकरी छूट जाएगी और बहुत सारे मॉल डेवलपर्स की दुकानें बंद हो सकती हैं। केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक को दिए गए अपने आवेदन में, संघ ने यह भी बताया है कि आरबीआई से वित्ताीय पैकेज और प्रोत्साहन के अभाव में 500 से अधिक शॉपिंग सेंटर्स दिवालिया हो सकते हैं, जिससे बैंकिंग उद्योग का 25,000 करोड़ रुपए एनपीए हो सकता है।



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