नई दिल्ली। सेमीकंडक्टर चिप की कमी से भारत सहित दुनिया भर में कई इंडस्ट्रीज प्रभावित हुई हैं। चिप की किल्लत का सीधा असर भारत की ऑटोमोबाइल और गैजेट्स इंडस्ट्री पर पड़ा है। इससे ऑटो कंपनियों के उत्पादन में तो कमी आई ही है, मोबाइल फोन, टीवी, वॉशिंग मशीन आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी महंगे हुए हैं। भारत को अब इस समस्या से जल्द ही राहत मिलने वाली है। चिप की कमी दूर करने को भारत और ताइवान के बीच एक समझौते पर बातचीत चल रही है, जिसके तहत भारत में ही चिप का उत्पादन किया जाएगा।
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत और ताइवान एक समझौता करने की तैयारी में हैं, ताकि देश में चिप बनाने वाली ताइवानी कंपनियों को आमंत्रित किया जा सके। बताया जा रहा है कि भारत में 7.5 अरब डॉलर यानी करीब 55.23 हजार करोड़ रुपए की लागत का चिप मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट बनाया जाएगा। इसमें 5G से लेकर इलेक्ट्रिक कारें, स्मार्टफोन, स्मार्ट टीवी जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए सेमीकंडक्टर चिप का उत्पादन होगा।
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इंडस्ट्रीज को मिलेगी टैक्स में छूट तथा अन्य इन्सेंटिव
5G डिवाइस से लेकर इलेक्ट्रिक कार तक में लगने वाले चिप के उत्पादन के लिए भारत ताइवान की कंपनियों को बुलाना चाहता है। भारत वर्ष 2023 से चिप बनाने वाली कंपनियों को कैपिटल एक्सपेंडिचर का 50 फीसदी आर्थिक मदद उपलब्ध कराने पर विचार कर रहा है। साथ ही टैक्स छूट और अन्य इन्सेंटिव भी दिए जा सकते हैं।
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रोजगार बढ़ने के साथ ये फायदे भी होंगे
देश में चिप उत्पादन से विदेश पर निर्भरता घटेगी और देश में कम्प्यूटर, लैपटॉप, स्मार्ट कार, वॉशिंग मशीन, एटीएम से लेकर स्मार्टफोन तक का अधिक उत्पादन हो सकेगा। इससे देश में लाखों रोजगार के अवसर पैदा होंगे। साथ ही कार सहित इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की कीमतों में भी कमी आने की संभावना बनेगी। भारत क्वांटम कम्प्यूटिंग, एआई, एडवांस्ड वायरलेस नेटवर्क्स, ब्लॉकचेन ऐप्स, 5जी, ड्रोन, रोबोटिक्स, गेमिंग और वियरेबल्स डिवाइस का प्रोडक्शन हब बन सकेगा।
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