Kota Factory Season 2: यह एक ऐसी बेवसीरीज...जो है तो ब्लैक एंड व्हाइट, लेकिन आते ही ओटीटी पर छा गई। हाल ही इसका दूसरा सीजन नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हुआ है। सीरीज में कोटा में आइआइटी की तैयारी करने आए बच्चों के जीवन के खट्टे-मीठे पलों को दिखाने की कोशिश की गई। सीरीज में बच्चों पर पढ़ाई और कोचिंग संस्थानों के दबाव, उनके अवसाद को बखूबी उकेरा गया है। युवाओं ने इस सीरीज को खासा पसंद किया है। सीरीज के मुख्य कलाकारों से सिनेवेब ने खास बातचीत की।
मयूर मोरे (वैभव पांडे)
ब्लैक एंड व्हाइट में जीना था खास
मयूर और वैभव की जिंदगी, अलग-अलग हंै। दोनों की लाइफ का कोई लेना-देना नहीं है। सफर ऐसा है कि कुछ पाने के लिए जो छूट गया, वह बहुत याद आता है। देश की पहली वेबसीरीज है, जिसके दोनों सीजन ब्लैक एंड व्हाइट में हैं। यह एक महत्त्वपूर्ण प्रयोग रहा। हमें महसूस नहीं हुआ, हम ब्लैक एंड व्हाइट युग में हैं। इस प्रयोग को खूब सराहा गया।
आलम (उदय गुप्ता)
जिंदगी में प्यार होना भी जरूरी है
सीजन 2 में कोशिश भी यही की गई कि यह दर्शकों को सीधे सीजन 1 से कनेक्ट कर दे। इसे काफी ऑर्गेनिक बनाने पर जोर दिया गया है। इस वेबसीरीज ने मेरे जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल दी। मुझे असल जिंदगी में गर्लफ्रेंड के लिए वक्त ही नहीं मिला, लेकिन प्यार भी जरूरी है। मेरा फोकस काम ही रहा है इसलिए गर्लफे्रंड वाली कोई बात कभी हो नहीं हो पाई।
रंजन राज (बालमुकुंद मीना)
किरदार में ढलना चुनौती थी
जब यह सीजन फाइनल हुआ तो मन में यही चल रहा था कि उसी किरदार को उसी फ्लो में कर पाऊंगा या नहीं। सीजन 1 के वक्त मूड ऐसा था कि बस नेचुरल एक्ट हो गया। मेरे लिए एक तरह से यह रिस्की था लेकिन खुशकिस्मती से सब कुछ बढिय़ा गया। शूटिंग के वक्त राजस्थान में थे। यहां की मकर संक्रांति पर घरों की छत का नजारा देखने लायक था।
अहसास (शिवांगी)
शिवांगी के लिए सलेक्ट हुई
वर्तिका भी ऑडिशन दिया था, पर शिवांगी के लिए सलेक्ट हुई सीजन 1 में मैंने शिवांगी के साथ ही वर्तिका का भी ऑडिशन दिया था, जिसमें से शिवांगी के लिए फाइनल हुई। सबसे खास बात ये है कि इस शो की सबसे बड़ी फैन तो मैं हूं। अगर मैं शो में नहीं होती, तब भी मुझे यह उतना ही पसंद आता। काश मैं शिवांगी की तरह होती।
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