शोले, दीवार, शान, डॉन, नाम, मिस्टर इंडिया, दोस्ताना जैसी फिल्में लिखकर अपने लेखन का लोहा मनवा चुके सलीम-जावेद की जोड़ी के सलीम को आज ज्यादातर लोग सलमान खान के पिता के तौर पर जानते हैं। एक दौर था, जब सलीम अपने फिल्मों की वजह से मशहूर हुआ करते थे।
साल 1973 में एक फ़िल्म रिलीज हुई थी। जिसका नाम ‘जंजीर’ था। इस फिल्म को भी सलीम खान ने ही लिखा था। वैसे तो फिल्म ब्लॉकबस्टर हिट साबित हुई थी। लेकिन सलीम ने इंटरव्यू में बताया था कि उनके लिए यह स्क्रिप्ट बेचना बिल्कुल भी आसान नहीं रहा था।
इंटरव्यू में सलीम खान ने बताया था कि, जब जंजीर प्री प्रोडक्शन दौर में थी तो, उन दिनों ऋषि कपूर की 'बॉबी' एक बहुचर्चित लव स्टोरी के तौर पर उभरी थी। इसके हिट होने के बाद लोगों को लगा कि अब ऐसी ही प्रेम कहानी पर फिल्म बनानी चाहिए। इसीलिए मेकर्स को ऐसी कहानियों की तलाश हुआ करती थी।
सलीम बताते हैं कि ज़ंजीर की कहानी इन सबसे अलग थी। उसका हीरो हर किसी के सामने रोता ही रहता था। मुझे फिर एक कैरेक्टर याद आया। ऐसा कैरेक्टर जो किसी लड़की का हाथ नहीं पकड़ता था और जो गाना नहीं गाता था। उसकी वजह से एक प्रोड्यूसर ने मुझे घर से धक्के मारकर बाहर निकाल दिया था क्योंकि मैंने उन्हें ढाई घंटे में कहानी सुनाई थी।
सलीम खान आगे बताते हैं कि, “उस फिल्म को मेरे लिए बेचना भी बहुत मुश्किल था। मुंबई में रहने वाला लगभग हर एक्टर इस कहानी के लिए मना कर चुका था। दिलीप कुमार को फिल्म सुनाई तो उन्होंने मना कर दिया। धर्मेंद्र, देव साहब, राजकुमार ने ये फिल्म रिफ्यूज कर दी थी। हमारे पास नए एक्टर को लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। हमने बॉम्बे टू गोवा देखी थी और हमें अमिताभ पसंद आया था। हमने वहीं फैसला कर लिया था कि अमिताभ बच्चन ही बतौर हीरो फिल्म का हिस्सा होंगे।
इसके बाद जब यह कहानी फिल्म बनकर रिलीज हुई तो अमिताभ बच्चन घर-घर में इंस्पेक्टर विजय के नाम से मशहूर हो गए। यह अमिताभ के करियर की लैंडमार्क फिल्मों से एक मानी जाती है। अमिताभ बच्चन और प्राण साहब का पुलिस स्टेशन का सीन आज भी लोगों के बीच प्रचलित है।
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