नई दिल्ली. कोविड महामारी में लोगों को कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ा है। किसी की नौकरी चली गई, तो किसी को व्यापार में घाटा लग गया। अधिकतर आर्थिक रूप से तो कमजोर हुए ही, स्वास्थ्य के लिहाज से भी डर महसूस करने लगे। इसके बाद कोरोना महामारी ने लोगों का हेल्थ इंश्योरेंस की महत्ता समझा दी। महामारी के बाद परिवारों को स्वास्थ्य से जुड़ी आपात स्थिति से राहत के लिए बीमा सबसे पसंदीदा वित्तीय उत्पाद बन गया है। टाटा एआइए लाइफ इंश्योरेंस के एक सर्वे के अनुसार, अब अधिक संख्या में लोग अगले छह माह में बीमा उत्पादों में निवेश की तैयारी कर रहे हैं। यह उपभोक्ता विश्वास सर्वे शोध एजेंसी नील्सन ने कराया है। इसके जरिए यह जानने का प्रयास किया गया है कि कोविड का उपभोक्ताओं के विश्वास पर क्या प्रभाव पड़ा है। ज्यादातर उपभोक्ता अपनी निवेश योजना के तहत अगले छह माह के दौरान बीमा उत्पाद खरीदने की योजना बना रहे हैं।
नौ केंद्रों में 1,369 लोगों पर सर्वे -
सर्वे में जीवन बीमा पसंदीदा वित्तीय उत्पाद बनकर उभरा है। ज्यादातर उपभोक्ता अगले छह माह के दौरान जीवन बीमा उत्पाद खरीदने की योजना बना रहे हैं। यह सर्वे नौ केंद्रों में 1,369 लोगों पर किया गया। सर्वे से यह तथ्य सामने आया है कि महामारी के दौरान 51 फीसदी लोगों ने बीमा में निवेश किया। वहीं 48 फीसदी लोगों ने स्वास्थ्य से संबंधित बीमा समाधान में पैसा लगाया। यह अन्य वित्तीय संपत्ति वर्ग की तुलना में कही अधिक है।
बीमा को लेकर सकारात्मक बदलाव-
सर्वे में शामिल 50 फीसदी लोगों का कहना था कि महामारी के दौरान जीवन बीमा को लेकर उनके विचार में सकारात्मक बदलाव आया है। 49 फीसदी ने कहा कि वे अगले छह माह के दौरान जीवन बीमा कवर में निवेश करना चाहेंगे। वहीं 40 फीसदी ने स्वास्थ्य बीमा में निवेश का इरादा जताया। सर्वे में यह तथ्य भी सामने आया कि महामारी के दौरान 30 फीसदी लोगों ने पहली बार जीवन बीमा में निवेश किया। वहीं 26 फीसदी लोगों ने पहली बार स्वास्थ्य सबंधी बीमा समाधान में निवेश किया।
सबसे बड़ी चिंता आर्थिक सुस्ती-
चिकित्सा को लेकर आपात स्थिति तथा इलाज के खर्च को लेकर वित्तीय सुरक्षा लोगों की प्रमुख प्राथमिकता है। 62 फीसदी ने सर्वे में इसका उल्लेख किया। वहीं 84 फीसदी ने कहा कि वे कोरोना वायरस की वजह से खुद के तथा परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। 61 फीसदी का कहना था कि वे अपने परिवार को लेकर चिंतित हैं और इस समय उनकी सबसे बड़ी चिंता आर्थिक सुस्ती है। बीमा से न केवल परिवारों को वित्तीय सुरक्षा मिलती है, बल्कि आपात चिकित्सा खर्च को लेकर भी उनकी चिंता काफी हद तक दूर होती है।
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