Sunday, March 21, 2021

आलू के दाम में भारी गिरावट, आम लोगों को राहत, किसानों के लिए आफत

नई दिल्ली। आलू के दाम में भारी गिरावट आने से भले ही आम लोगों को काफी राहत मिली हो, लेकिन किसानों के लिए लागत निकलना भी मुश्किल हो गया है। आलू पिछले साल के मुकाबले इस साल थोक मंडियों में करीब एक तिहाई दाम पर बिकने लगा है। देश में आलू की बंपर पैदावार है, इसलिए किसानों को कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने से भी ज्यादा दाम मिलने की उम्मीद नहीं है। फिर भी देश के सबसे बड़े आलू उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में कोल्ड स्टोरेज की तकरीबन 67 फीसदी क्षमता तक आलू का भंडारण हो चुका है। उत्तर प्रदेश के कानपुर के प्रगतिशील किसान भंवरपाल ने कहा कि आलू का भाव इस समय इतना गिर गया है कि किसानों के लिए आलू की लागत निकलना भी मुश्किल हो गया है।

इतना सस्ता हो गया है आलू
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में खेतों में किसानों को अच्छी क्वालिटी के आलू का भाव करीब 400 रुपए प्रतिक्विंटल, जबकि मंडियों में 500 रुपए प्रतिक्विंटल मिल रहा है। हालांकि, उत्तर प्रदेश में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बेहतर क्वालिटी के आलू का भाव किसानों को 800 से 900 रुपए प्रतिक्विंटल तक मिल रहा है। अधिकारी कहते हैं कि आलू की प्रति हेक्टेयर पैदावार पिछले साल से ज्यादा है, इसलिए किसानों की लागत की भरपाई करने में बहुत कठिनाई नहीं होनी चाहिए।

इन राज्यों में 400 प्रति क्विंटल तक सस्ता हुआ
सरकारी पोर्टल एगमार्कनेट पर उपलब्ध रोजाना कीमत सूची पर नजर डालें तो कई मंडियों में आलू का भाव 400 रुपए प्रतिक्विंटल से नीचे तक भाव गिरा है, जबकि दो-चार मंडियां ऐसी भी हैं, जहां आलू का भाव में 900 रुपए प्रतिक्विंटल से भी ऊंचा रहा है। किसानों से मिली जानकारी के अनुसार, बंगाल और गुजरात में आलू का भाव 300 रुपए से 400 रुपए प्रतिक्विंटल तक गिर गया है। कमोबेश ऐसी ही स्थिति बिहार में भी है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि बीज के लिए आलू की मांग इस समय काफी ज्यादा है, क्योंकि पिछले साल बीज की किल्लत पड़ गई थी, जिसके कारण किसानों को काफी ऊंचे दरों पर बीज खरीदनी पड़ी थी।

घाटे का सौदा साबित हुआ आलू
भंवरपाल ने कहा कि दरअसल बीज महंगा होने और खेती की लागत बढ़ जाने के कारण ही किसानों के लिए आलू की खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है। उन्होंने बताया कि कई किसान अब इसलिए भी कोल्ड स्टोरेज में आलू रखना नहीं चाहते हैं कि उनकी लागत और बढ़ जाएगी, जबकि कोल्ड स्टोरेज में आलू का भंडारण ज्यादा होने से आगे फिर कहीं औने-पौने भाव पर न बेचना पड़े।



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