नई दिल्ली । सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया को खरीदने की दौड़ में सिर्फ टाटा ग्रुप और स्पाइसजेट ही बचे हैं। बाकी बोलियों को खारिज कर दिया गया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआइ) के स्तर पर कई बोलियां मिली थीं। मूल्यांकन के बाद इनमें से ज्यादातर को खारिज कर दिया गया। बोली कर्ताओं की प्रतिक्रिया से सरकार के संतुष्ट होने के बाद योग्य बोली कर्ताओं को जानकारी दी जाएगी। दीपम के सचिव तुहिन कांत पांडे ने कहा कि कई ईओआइ मिले हैं। पात्रता एवं मानकों पर परखने के बाद इन पर निर्णय होगा।
टाटा का पुराना नाता-
दरअसल, अप्रेल 1932 में एयर इंडिया का जन्म हुआ था। उस समय के उद्योगपति जेआरडी टाटा ने इसकी स्थापना की थी, लेकिन इसका नाम एयर इंडिया नहीं था। तब इसका नाम टाटा एयरलाइंस हुआ करता था। 29 जुलाई, 1946 को टाटा एयरलाइंस पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गई और उसका नाम बदलकर एयर इंडिया लिमिटेड रखा गया।
विनिवेश की प्रक्रिया-
एयर इंडिया में विनिवेश की प्रक्रिया को दो चरणों में बांटा गया है। पहले चरण में ईओआइ मंगाए गए हैं। दूसरे चरण में आरएफपी और बोली प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। एयर इंडिया के 209 कर्मचारियों के समूह ने भी बोली लगाई थी। डनलप और फाल्कन टायर्स के एस्सार और पवन रुइया ने भी बोली लगाई थी।

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