नई दिल्ली। भारत में जल्द प्रारंभ होने वाले नेशनल असेट रि-कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड अर्थात बैड बैंक की राह कठिन होने वाली है। यह दुनिया के सबसे खराब बुरे ऋण के ढेर को कम करने में मदद तो कर सकता है, लेकिन इसके लिए उसे लंबा रास्ता तय करना पड़ेगा। उम्मीद है कि इस माह के अंत तक बैड बैंक कार्य शुरू कर देगा। वक्त के साथ इसे करीब दो हजार अरब रुपए अर्थात् 27 बिलियन डलर के दबाव ऋण को संभालना होगा।
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यह भारत के गैर-निष्पादित ऋण भार का लगभग एक चौथाई होगा। शुरूआत में केन्द्र सरकार बैड बैंक में पैसा लगाएगी। एनपीए साफ होने पर ये सरकारी बैंक आसानी से आम ग्राहकों और कारोबारियों को ज्यादा लोन दे पाएंगे। लिहाजा बैंकों के कर्ज नहीं देने वाली बात खत्म हो जाएगी। वहीं दूसरी ओर सरकार को बैंकों का प्राइवेटाइजेशन करने में भी आसानी हो जाएगी।
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यह है बैड बैंक
बैड बैंक परिसंपत्ति पुनर्निमाण कंपनी होती है, जिसका काम यह होता है कि बैंकों के फंसे हुए कर्जों यानि एनपीए को नियंत्रण में लें। बैड बैंक किसी भी खराब परिसंपत्ति को अच्छी परिसंपत्ति में बदलने का कार्य करता है। अभी अमरीका, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन व पुर्तगाल में बैड बैंक कार्य कर रहे हैं।
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उल्लेखनीय है कि कोरोना की वजह से खराब चल रही अर्थव्यस्था को सुधारने के लिए सोमवार को देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक राहत पैकेज की घोषणा की थी। इस पैकेज में उद्योगों के लिए जहां कई तरह की सुविधाएं दी जाने की बात कही गई थी वहीं प्राइवेट सेक्टर के एम्प्लाईज के लिए भी प्रावधान किए गए थे।
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