नई दिल्ली। लंबे अरसे बाद वैश्विक स्तर पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में जल्द राहत की उम्मीद बनती दिखाई देने लगी है। ऐसा इसलिए कि तेल उत्पादक देशों के बीच तेल उत्पादन को लेकर समझौते की उम्मीद बन गई है। ओपेक प्लस के सूत्रों के हवाले से विदेशी मीडिया में जारी सूचना के मुताबिक सऊदी अरब और यूएई के बीच कच्चे तेल में उत्पादन को बढ़ाने के बीच समझौता हो गया है।
गतिरोध के चलते नहीं हो पाया था फैसला
हाल ही में ओपेक प्लस देशों की बैठक में इस मुद्दे पर गतिरोध के चलते तेल उत्पादन बढ़ाने पर फैसला नहीं हो पाया था। ताजा अपडेट के मुताबिक कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से मांग में नकारात्मक असर को देखते हुए तेल उत्पादक देश कीमतों को नियंत्रण में लाने के लिए तैयार हो गए हैं। रायटर्स में इस बारे में खबर आने के साथ ही कच्चे तेल मे नरमी देखने को मिली है।
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अब 20 लाख बैरल प्रति दिन बढ़ सकता है उत्पादन
ओपेक देश के बीच रखे गए प्रस्ताव के मुताबिक कीमतों में कमी के लिए उत्पादन को 20 लाख बैरल प्रति दिन बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि गतिरोध इस बात पर हुआ था कि उत्पादन बढ़ाने में किस देश का कितना हिस्सा रहेगा। इस मुद्दे पर पर अब सहमति बनने की खबर है। कच्चे तेल की कीमते फिलहाल ढ़ाई साल के उच्चतम स्तर पर है। साल 2020 में तेल की कीमतों में तेज गिरावट को देखते हुए तेल उत्पादक देशों ने उत्पादन मे रिकॉर्ड कटौती की थी। हालांकि, अर्थव्यवस्थाओं मे रिकवरी के मुताबिक उत्पादन में बढ़ोतरी नहीं की गई है जिससे कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिला है।
कुछ देशों ने जताई थी इस बात की आशंका
इसके बाद कुछ तेल उत्पादक देशों ने आशंका जाहिर की थी कि अगर कीमतों में बढ़त जारी रहती है तो मांग पर बुरा असर देखने को मिलेगा। इसलिए ओपेक देश उत्पादन बढ़ाकर कीमतों पर नियंत्रण पर बातचीत कर रहे हैं।
75 डॉलर से प्रति बैरल से नीचे आया ब्रेट क्रूड
अब तेल उत्पादन बढ़ने की उम्मीद के साथ ही कच्चे तेल मे गिरावट देखने को मिली है। ब्रेट क्रूड 75 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया है। बीते 6 महीने में ब्रेंट क्रूड 55 के स्तर से बढ़कर 75 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है।
भारतीय ग्राहकों को भी मिलेगा इसका फायदा
कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ने पर उसके दाम नीचे आएंगे। जिसका सीधा फायदा पेट्रोल और डीजल की कीमतों में देखने को मिलेगा। वर्तमान ईंधन की कीमतों मे तेजी और ऊंचे टैक्स की वजह से कच्चे तेल की कीमतें चरम पर है। अब ब्रेंट क्रूड में गिरावट आते ही सरकार इसका फायदा ग्राहकों को सकती है।
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