Friday, July 23, 2021

इस वजह से Zomato बनी करोड़ों की कंपनी, जानिए एक आइडिया ने किस तरह दिलाई बड़ी सफलता

नई दिल्ली। घर बैठे खाना मंगाने के चलन को बढ़ावा देने में जोमैटो (Zomato) का बहुत बड़ा योगदान है। इस डिलीवरी ऐप के जरिए लोग अपने मनपंसद का खाना घर बैठे आर्डर करते हैं। एक मामूली सी कंपनी आज एक लाख करोड़ की वैल्यू वाली कंपनी में बदल चुकी है। इस कंपनी की सफलता का राज इसका आडिया है, जिसने लोगों को जरूरत को परखा था। इस शानदान आइडिया के पीछे दीपिंदर गोयल और पंकज चड्ढा का हाथ है।

ये भी पढ़ें: कहीं जाने की जरूरत नहीं, घर बैठे ऐसे कमाएं लाखों रुपए

जोमैटो आईपीओ की बाजार में लिस्टिंग

फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो के शेयर डेब्यू (Zomato IPO) शुक्रवार को BSE पर 116 रुपए हो गए हैं। यह इश्यू प्राइस से 51.32 फीसदी यानी 39 रुपए अधिक है। वहीं सुबह 10.07 बजे तक कंपनी के शेयर NSE पर 138.50 रुपये तक ट्रेड कर रहे थे। इस समय कंपनी शेयर का मार्केट कैप एक लाख करोड़ से अधिक हो गया है। मार्केट कैप के अनुसार यह भारत की 45वीं नंबर कंपनी बन चुकी है।

जोमैटो की किस तरह से हुई शुरूआत

गौरतलब है कि जोमैटो एक फूड एग्रीगेटर ऐप है। इस पर कई होटल्स या ढाबे के मेन्यू कार्ड होते हैं। इन मेन्यू कार्ड से आप अपने मुताबिक ऑर्डर कर सीधे अपने घर पर मंगवा सकते हो। इससे आपके काफी समय की बचत होती है। आज इस ऐप के करोड़ों सक्रिय उपभोक्ता हैं। जोमैटो को शुरू करने के लिए सबसे पहला आइडिया दीपिंदर गोयल और पंकज चड्ढा का साल 2008 में आया था। इस कंपनी की शुरुआत उस समय एक रेस्तरां और फूड लिस्टिंग वेबसाइट के रूप में हुई थी। आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई के बाद दोनों संस्थापक बेन कंसल्टिंग नामक एक फर्म में काम कर रहे थे।

ये भी पढ़ें: Digital Currency in India: देश में डिजिटल करेंसी लाने की तैयारी में आरबीआई

किस तरह से जोमैटो का आइडिया सामने आया

जोमैटो के संस्थापक दीपिंदर गोयल (Zomato's CEO Deepinder Goyal) अपने शुरुआती दिनों में पढ़ाई में बेहतर नहीं थे। वे छठी और ग्यारहवीं कक्षा में फेल भी हो चुके थे। हालांकि बाद में उन्होंने पढ़ाई को गंभीरता से लिया और पहली बार में ही IIT एग्जाम को क्रैक करने में सफल रहे। उन्होंने आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग पूरी की। यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद दीपिंदर ने 2006 में मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनी बेन एंड कंपनी में नौकरी शुरू कर दी। इस दौरान उनकी मुलाकात अपने पाटर्नर पकंज चड्ढा से हुई। एक बार दीपिंदर ने लंच के समय कैफेटेरिया के मेन्यू कार्ड को लेकर लंबी लाइन को देखा। इस दौरान उनके मन में एक विचार आया। उन्होंने मेन्यू कार्ड स्कैन कर साइट पर डाल दिया। इसका रिस्पांस बहुत अच्छा था। तब उन्होंने अपने दोस्त पंकज चड्ढा से इस पर बातचीत की।

कंपनी को मिलने लगी फंडिंग

एक समय जोमैटो केवल अपनी वेबसाइट पर विज्ञापनों के जरिए कमाई कर रहा था। नवंबर 2013 तक सिकोइया कैपिटल इंडिया ने कंपनी के लिए 37 मिलियन डॉलर के फंडिंग राउंड का नेतृत्व किया था।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/3iDUwt6