नई दिल्ली. गोल्ड लोन पर आधारित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां चालू वित्त वर्ष में 18-20 प्रतिशत बढ़कर 1.3 लाख करोड़ रुपये हो सकती है। क्रिसिल रेटिंग ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी और त्योहारी सीजन की शुरुआत के साथ छोटे उद्यमों और आम लोगों से गोल्ड लोन की मांग बढ़ी है, जिससे कार्यशील पूंजी और व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा किया जा रहा है।
हालांकि, विशेषज्ञों का यह भी कहना है गोल्ड लोन में तेजी एनबीएफसी के लिए आगे चलकर मुसीबत भी बन सकती है क्योंकि डिफॉल्ट के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक और उप मुख्य रेटिंग अधिकारी कृष्णन सीतारमन ने कहा कि पहली तिमाही के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में गोल्ड लोन वितरण में तेजी आई है। यह रुझान कई राज्यों द्वारा लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील देने के साथ मेल खाता है।
मांग बढ़ने की वजह:
सीतारमन ने कहा, ''हमें उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में भी यह गति बनी रहेगी। गोल्ड लोन मांग में बना रहेगा, जबकि कर्जदाता कई अन्य खुदरा परिसंपत्ति श्रेणियों में वृद्धि को लेकर सतर्क रहेंगे।'' साख के नजरिये से गोल्ड लोन एक अत्यधिक सुरक्षित और नकदी श्रेणी की परिसंपत्ति है, कम से कम ऋण हानि के साथ बेहतर रिटर्न देता है।
डिफॉल्ट ने बढ़ाई मुश्किलें:
गोल्ड लोन सबसे आसानी से और सबसे कम समय में मिलने वाला कर्ज है। इससे जुड़ी एनबीएफसी चंद मिनट में गोल्ड लोन देने का दावा करती हैं। लेकिन कोरोना संकट में गोल्ड लोन में बढ़ता डिफॉल्ट उनके लिए मुसीबत बनते जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के सोने को बाजार में नीलाम किया जाता है, जिसे ज्वैलर खरीदते हैं। लेकिन, कोरोना संकट में पिछले दो साल से उनकी बिक्री भी सुस्त पड़ी हुई है। ऐसे में वह भी खरीद के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।
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