Saturday, October 16, 2021

म्यूचुअल फंड्स: स्विंग प्राइसिंग फ्रेमवर्क बड़े नुकसान से बचाएगा

नई दिल्ली। जब बाजार में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव होता है तो बड़े निवेशक म्यूचुअल फंड की स्कीम से अपनी पूंजी निकालने लगते हैं। इसका असर फंड के एनएवी (नेट एसेट वैल्यू) पर होता है और इससे फंड में बने रहने वाले निवेशकों का नुकसान होता है। म्यूचुअल फंड्स से उठापटक वाले बाजार मे बड़ी निकासी को रोकने के लिए बाजार नियामक सेबी ने हाल ही में स्विंग प्राइसिंग फ्रेमवर्क पेश किया है।

छोटे निवेशकों पर नहीं होगा कोई असर-
यह फ्रेमवर्क ओपन-एंडेड डेट फंड्स पर लागू होगा, जबकि ओवरनाइट फंड्स, गिल्ट फंड्स और 10 साल की मैच्योरिटी वाले गिल्ट को इससे बाहर रख गया है। इसके अलावा 2 लाख रुपए तक की निकासी पर स्विंग प्राइसिंग का असर नहीं होगा। यानी छोटे निवेशक जब चाहे पैसे निकाल सकेंगे और उनके रिटर्न पर स्विंग प्राइसिंग का असर नहीं होगा। यह फ्रेमवर्क 1 मार्च, 2022 से प्रभावी हो जाएगा।

ऐसे मिलेगा फायदा-
स्विंग प्राइसिंग लागू होने पर फंड में निकासी के दौरान निवेशकों को वह एनएवी मिलेगी जो स्विंग फैक्टर के तहत एडजस्ट की गई है। उठापटक के दौर में यदि बड़ी निकासी होती है तो स्कीम से बाहर निकलने पर कम एनएवी मिलेगा और एग्जिट चार्ज बढ़ जाएगा। इससे फंड में बने रहने वाले निवेशकों को फायदा होगा।

दो फीसदी तक होगा-
स्विंग प्राइसिंग सामान्य दिनों में भी लागू होगा। लेकिन इसमें स्विंग फैक्टर अलग तरीके से तय होंगे। स्विंग फैक्टर 1 से 2 फीसदी तक होगा। जब मार्केट अधिक वोलेटाइल होगा तो एग्जिट करने पर 2 फीसदी कम एनएवी मिलेगा। लेकिन आम दिनों में पार्शियल स्विंग लागू होगा, जो 1 फीसदी होगा।



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