Wednesday, July 22, 2020

Patrika Exclusive: राजस्थान में 'राज' करने के लिए BJP की 'खामोश रणनीति'

विवेक श्रीवास्तव/नई दिल्ली। राजस्थान में चल रही सियासी सरगर्मी ( rajasthan political crisis ) के बीच भारतीय जनता पार्टी अब सक्रिय हो चली है। इसके चलते सभी सांसदों को उनके संपंर्क व उनके क्षेत्र वाले कांग्रेस के नाराज विधायकों ( rebel Congress mla ) को साधने की जिम्मेदारी दी गई है। आने वाले दिनों में भाजपा ( Bhartiya Janata Party ) का यह अभियान तेजी के साथ आगे बढ़ता दिख सकता है।

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सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश में सरकार बदलने के बाद भाजपा राष्ट्रीय नेतृत्व का पूरा ध्यान अब राजस्थान पर आ टिका है। सचिन पायलट ( Sachin Pilot ) की बगावत के चलते भाजपा इसे अच्छा मौका मान रही है। यही वजह है कि पहले कुछ मंत्रियों और अन्य नेताओं को राजस्थान में ऑपरेशन लोटस की जिम्मेदारी दी गई।

इससे बात बनती नहीं दिखी तो अब राजस्थान के सभी 25 लोकसभा सांसद व राज्यसभा सांसदों को सक्रिय कर दिया है। भाजपा नेतृत्व ने इन सांसदों को मुख्यमंत्री गहलोत ( Ashok Gehlot ) से नाराज कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों से बात कर उन्हें खेमा बदलने के लिए संभावना तलाशने के लिए कहा है। यही वजह है कि राजस्थान के कुछ सांसदों ने सियासी घटनाक्रम को लेकर बयानबाजी भी शुरू कर दी है।

मसूदा विधायक पारीक पायलट के साथ

पूर्वी और पश्चिमी राजस्थान पर फोकस

भाजपा नेतृत्व को राजस्थान से इनपुट मिले है कि कई विधायक कांग्रेस नेतृत्व ( congress leadership ) द्वारा अपनी उपेक्षा से बेहद नाराज है और सियासी भविष्य तलाश रहे हैं। इसलिए भाजपा ने इस फॉर्मूले पर कार्य शुरू कर दिया है। पूर्वी और पश्चिमी राजस्थान में कांग्रेस ( Congress ) के असंतुष्ट विधायकों को साधने के लिए रणनीति बनाई गई है।

अभी पहले चरण में विधायकों के करीबियों के जरिए चर्चा की जा रही है। भाजपा का प्रयास है कि बहुमत परीक्षण ( floor test ) के दौरान पायलट खेमे के अन्य विधायकों को साधने में असफल रहने पर इस प्लान को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। संबंधित सांसदों ने इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं। भाजपा नेतृत्व ने इसके लिए आरएलपी से नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल को उन विधायकों से संपर्क साधने को कहा है, जिनकी जीत में आरएलपी का योगदान रहा है।

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पायलट खेमा नेतृत्व परिवर्तन पर कायम

दिल्ली में ठहरे पायलट खेमे के विधायक हर हाल में प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की मांग पर अड़े हुए हैं। अधिकतर नेताओं का कहना है कि वे इस लड़ाई के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और इसमें विधायकी की शहादत भी देनी पड़ती तो भी पीछे नहीं हटेंगे।

एक पूर्व मंत्री ने कहा कि आज जो लड़ाई का बीड़ा उठाया है, इसका फायदा भविष्य में आने वाली पीढ़ी को होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले तीन दशक से उन सभी लोगों की राजनीतिक हत्या कर दी, जो जननेता थे।



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