नई दिल्ली। पूरा देश महामारी कोरोना वायरस से जूझ रहा है। कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन और कर्फ्यू के कारण काम धंधे चोपट हो गए। इसका असर अर्थव्यवस्था पर भी काफी पड़ा है। इस मुश्किल में भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई की भूमिका काफी अहम है। मौजूदा हालात को देखते हुए केंद्र सरकार ने टी रविशंकर को आरबीआई का डिप्टी गवर्नर बनाया है। रविशंकर आरबीआई के चार डिप्टी गवर्न स्तर के अधिकारियों में एक होंगे। उन्होंने बीपी कानूनगो की जगह ली है। कानूनगो दो अप्रैल को रिटायर हो गए थे, तब से यह पद खाली है। वैसे कानूनगो का पिछले साल कार्यकाल समाप्त हो गया था। सरकार ने हालात को देखते हुए उन्हें सेवा विस्तार दे दिया था। कानूनगो इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक के साथ भी भारत सरकार की ओर से काम कर चुके हैं।
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3 साल तक संभालेंगे जिम्मेदारी
कानूनगो केंद्रीय बैंक की अनुषंगी कंपनी इंडियन फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी एंड एलाइड सर्विसेज के चेयरमैन थे। कानूनगो की रिटायरमेंट के बाद उनके नाम पर विचार किया जा रहा था। केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने शनिवार को रविशंकर की नियुक्ति के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसके बाद अब उन्होंने पदभार संभाल लिया है। उनका कार्यकाल तीन साल या फिर सरकार के अगले आदेश तक जारी रहेगा।
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कौन-कौन है इस समय डिप्टी गवर्नर
आपको बता दें कि आरबीआई में एक गवर्नर के साथ चार डिप्टी गवर्नर होते हैं। इस समय में माइकल डी पात्रा, राजेश्वर राव और मुकेश जैन आरबीआई के डिप्टी गवर्नर है। माइकल पात्रा मॉनिटरी पॉलिसी डिपार्टमेंट के हेड हैं। रविशंकर ने बीएचयू से विज्ञान एवं सांख्यिकी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके अलावा इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनामिक ग्रोथ से विकास योजना में डिप्लोमा किया। फिर 1990 में आरबीआई में अनुसंधान अधिकारी के रूप में सेवा देनी शुरू की। बाद में उन्होंने कई अन्य जिम्मेदारियां निभाई। अब अगले तीन साल तक आरबीआई के डिप्टी गवर्नर के रूप में अपनी सेवाए देंगे।
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