Sunday, July 4, 2021

ICICI बैंक में अकाउंट है तो हो जाएं सावधान! ग्राहकों को नुकसान से बचाने लिए बैंक ने जारी किया ये अलर्ट

नई दिल्ली। यदि आप आईसीआईसीआई बैंक के ग्राहक हैं तो आपके लिए एक जरूरी सूचना है। बैंक ( ICICI Bank ) ने देश में लोगों के साथ धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों को देखते हुए ग्राहकों के लिए विशेष चेतावनी जारी की है। बैंक की ओर से जारी सूचना के मुताबिक मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल करते समय ग्राहकों के लिए कुछ विशेष बातों का ख्याल रखना जरूरी है। ऐसा इसलिए कि लोग अनजाने में ठगों के झांसे में आ जाते हैं और अपना बैंक खाता खाली करवा बैठते हैं।

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आईसीआईसीआई ने ग्राहकों को दी इस बात की सलाह

आईसीआईसीआई बैंक ने इसी तरह के बैंकिंग फ्रॉड से ग्राहकों को बचाने के लिए अलर्ट जारी किया है।बैंक ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए साइबर ठगों द्वारा सिम स्वैपिंग के लिए ग्राहकों को खास तौर पर आगाह किया है। बैंक के मुताबिक साइबर ठग आपके रजिस्टर्ड नंबर से एक नया सिम जारी कराकर उस पर आने वाले सभी फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन की जानकारी और ओटीपी आदि हासिल कर लेते हैं। इस तरीके से किसी के भी अकाउंट से पैसे आसानी से निकाले जा सकते हैं। आईसीआईसीआई ने अपने ग्राहकों से कहा है कि अगर मोबाइल बैंकिंग ( mobile banking ) का इस्तेमाल करते समय अगर लंबे समय तक आपके फोन में सिगनल न रहे तो मोबाइल नेटवर्क आपरेटर से संपर्क करना जरूरी है। असाधारण मैसेज या अननोन अलर्ट आने पर भी सतर्क रहने की जरूरत है।

एफडी से जुड़ें नियमों में आरबीआई ने किया ये बदलाव

दूसरी तरफ फिक्स्ड डिपॉजिट से जुड़े नियम को लेकर रिजर्व बैंक ऑप इंडिया ( आरबीआई ) ने अहम बदलाव किया है। एफडी के मैच्योर होने के बाद अब उसपर कम ब्याज मिलेगा। आरबीआई के मुताबिक अगर कोई ग्राहक एफडी के मैच्योर होने के बाद जमा राशि को नहीं निकालता है तो नए नियम के तहत कम ब्याज दिया जाएगा। आरबीआई ने कहा है कि अगर एफडी का पैसा क्लेम नहीं किया जाता और वह खाते में ही पड़ा रहता है तो ऐसे में ग्राहक को सेविंग अकाउंट की दर से या फिर एक मैच्योर्ड एफडी के मुताबिक ब्याज मिलेगा। आरबीआई ने साफ किया है कि नया नियम कमर्शियल बैंकों, स्मॉल फाइनेंस बैंक, सहकारी बैंक, स्थानीय क्षेत्रीय बैंकों में जमा फिक्सड डिपॉजिट पर लागू होगा।

पहले के नियमों ये था प्रावधान

पहले के नियमों के तहत ग्राहक अगर मैच्योरिटी के बाद क्लेम नहीं करता था तो उसकी एफडी को उस अवधि के लिए बड़ा दिया जाता था जिसपर शुरुआती एफडी ली गई थी। इस तरह ब्याज भी ज्यादा मिलता था।

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