भारत में सोने की खरीदारी को लेकर परंपरागत उत्साह रहता है और खासकर त्योहारों में लोग सोना खरीदना शुभ मानते है। बाजार में भौतिक सोना यानी गहने या सिक्के, डिजिटल गोल्ड, ईटीएफ या गोल्ड बॉन्ड में निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि सोने के किसी भी मोड में निवेश जरूरत और जोखिम की क्षमता को देखते हुए करनी चाहिए। साथ ही निवेश लंबी अवधि और विविधिकरण के नजरिये से करना चाहिए। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अपने कुल निवेश का पांच से 10 फीसदी ही सोने में निवेश करना चाहिए।
गोल्ड बॉन्ड पर ब्याज का मिलेगा फायदा:
रिजर्व बैंक समय-समय पर गोल्ड बॉन्ड जारी करता है। इसमें निवेश पर 2.5 फीसदी ब्याज मिलता है। यह सोने में निवेश की इकलौती ऐसी योजना में जिसपर ब्याज मिलता है। इसकी परिपक्वता अवधि आठ साल की है। लेकिन जरूरत पर इसे पांच साल बाद भी बेच सकते हैं। इसे शेयरों की तरह खरीद-बेचने की सुविधा है। इसमें एक ग्राम सोने के मूल्य के बराबर राशि निवेश करने की भी सुविधा है। रिजर्व बैंक बॉन्ड में निवेश के लिए डिजिटल रूप में भुगतान करने पर प्रति 10 ग्राम 50 रुपये की छूट देता है।
ज्वेलरी से ज्यादा सिक्को में फायदा:
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि निवेश के लिए भौतिक सोना खरीदने की योजना बना रहे हैं तो ज्वेलरी से ज्यादा सिक्के फायदेमंद हो सकते हैं। सोने की ज्वेलरी पर मेकिंग चार्ज लगता है। आप जब कभी इसे बेचते हैं तो आपको केवल सोने के मूल्य के बराबर राशि मिलती है और मेकिंग चार्ज का नुकसान होता है। सोने के सिक्कों पर मेकिंग चार्ज नहीं लगता है और जरूरत पर उसके बदले नए डिजाइन की ज्वेलरी बनवाने का विकल्प हमेशा मौजूदा रहता है।
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