नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच सीट शेयरिंग के मुद्दे पर बगावती तेवर की वजह से एलजेपी नेता चिराग पासवान सियासी मंझधार में फंसते दिखाई दे रहे हैं। इस समय एनडीए में उनका हाल महागठबंधन के उपेंद्र कुशवाहा जैसा है। बिहार में 143 सीटों पर चुनाव लड़ने की जिद से उनकी मुश्किलें कम होने के बजाए बढ़ती जा रही हैं।
इस मुद्दे पर अपनी ही पार्टी के पशुपति पारस समेत 4 सांसद चिराग पासवान का साथ देने को तैयार नहीं हैं। एलजेपी के कई नेता चाहते हैं कि विधानसभा का चुनाव एलजेपी के साथ ही लड़ा जाए।
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एलजेपी के अधिकांश नेता चिराग पासवान की इस मंशा से तो सहमत हैं कि तार्किक समझौते के बाद ही चुनाव लड़ा जाए, लेकिन वे NDA से अलग होकर मैदान में उतरने का खतरा मोल लेना नहीं चाहते। यही वजह है कि चिराग पासवान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
पशुपति कुमार पारस और सूरज भान समेत कई वरिष्ठ नेताओं के साथ हुई चिराग पासवान की बैठक में यह साफ हुआ कि एलजेपी नेता फिलहाल एनडीए से अलग नहीं होना चाहते हैं। वहीं पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के छोटे भाई और सांसद पशुपति कुमार पारस और पूर्व सांसद सूरजभान सिंह समेत कई नेताओं ने मौजूदा हालात को देखते हुए एनडीए के साथ ही चुनाव लड़ने के पक्ष में हैं।बताया तो यहां तक जा रहा है कि पार्टी के पांच में से चार सांसद इस मसले पर बीजेपी के साथ हैं।
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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चिराग पासवान चाहते हैं कि पार्टी बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़े, लेकिन 143 सीटों पर जेडीयू के खिलाफ पार्टी का उम्मीदवार उतारने की योजना पर भी वो काम कर हैं। अपने इस रवैये की वजह से चिराग सियासी मोर्चे पर फंसते दिखाई दे रहे हैं।
दूसरी तरफ सियासी घमासान के बीच पार्टी नेताओं ने चिराग पासवान के प्रति एकजुटता दिखाई है। सांसद पशुपति कुमार पारस ने बयान भी दिया है कि एलजेपी के सभी नेता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के साथ हैं।
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