Tuesday, September 29, 2020

Bihar Assembly Polls: आरजेडी से आए विधायकों को एडजस्ट करने में छूटे जेडीयू के पसीने, BJP पर नजरें

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव ( Bihar Assembly Polls ) की तारीखों के ऐलान के साथ ही सियासी हलचलें तेज हो गई हैं। सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। दरअसल राष्ट्रीय जनता दल से टूट गए जेडीयू में आए विधायकों को एडस्ट करना जेडीयू के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।

बिहार में होने वाले चुनाव के पहले चरण को लेकर NDA में सीट शेयरिंग का ऐलान बुधवार को संभव है। लेकिन इस बीच जेडीयू के लिए सबसे बड़ी मुश्किल आरजेडी से पार्टी में आए नेताओं को एडस्ट करने की हो रही है।

आरजेडी विधायकों को समायोजित करने के लिए जेडीयू बीजेपी के कोटे की कुछ सीटें चाहती है, लेकिन बीजेपी को इस एतराज है। ऐसे में जेडीयू की नजरें अब बीजेपी के फैसले पर टिकी है जिसमें वे सीटों के आवंटन में उसकी मुश्किल हल कर सकें।

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दिल्ली में होगा फैसला
जेडीयू की मुश्किल और बीजेपी की परंपरागत सीटों को लेकर अंतिम फैसला बुधवार को दिल्ली में होगा। दरअसल बीजेपी आलाकमान ने प्रदेश भाजपा और जेडीयू के कुछ नेताओं को दिल्ली तलब किया है। यहीं पर आमने सामने बैठकर पहले चरण की उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की जाएगी।

दरअसल बीजेपी का कहना है कि जेडीयू की ओर से मांगी गई ज्यादा सीटें उसके सीटिंग विधायकों की या फिर परंपरागत रही हैं, ऐसे में डैमेज कंट्रोल की पॉलिसी को अपनाने के लिए बीजेपी के शीर्ष नेता दिल्ली आलाकमान के अंतिम फैसले का इंतजार कर रहे हैं।

जेडीयू को चाहिए ये सीटें
चुनाव से पहले जेडीयू को जिन सीटों की दरकार है उनमें सासाराम, बक्सर, भोजपुर की एक सीट, बिहारशरीफ, लखीसराय, गायघाट, गड़खा, बोधगया, सीतामढ़ी, छपरा, बैकुंठपुर, मुंगेर, झाझा, बाढ़, पाली और पटना शहर की एक सीट प्रमुख रूप से शामिल है।

दरअसल इनमें से कुछ सीटों पर बीजेपी राजद से आए नेताओं को एडस्ट करना चाहती है, जिस वादे के साथ उन्हें पार्टी में लाया गया था। वहीं बीजेपी के लिए इन सीटों को छोड़ना मुश्किल नजर आ रहा है।

ये सभी बीजेपी की परंपरागत सीटें हैं और कई जगहों पर अभी भी भाजपा के सीटिंग विधायक हैं। अब अगर बीजेपी ये सीटें जेडीयू को देती है तो पार्टी में इसका बड़े स्तर पर विरोध हो सकता है। चुनाव से पहले ये ठीक नहीं होगा।

यही वजह है कि जेडीयू के लिए आरजेडी नेताओं को एडस्ट करने में पसीने छूटने लगे हैं। अब सारा दारोमदार बीजेपी पर टिका है।



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