Thursday, March 18, 2021

भारत तेल आयात के लिए ओपेक देशों पर निर्भरता कम करेगा

नई दिल्ली। साल 2021 में कोरोना टीकाकरण की दिशा में जैसे-जैसे तेजी आई, आर्थिक गतिविधियां तेज होने लगीं। इसके कारण पेट्रोलियम उत्पादों की डिमांड भी बढऩे लगी। पेट्रोल-डीजल की डिमांड में तेजी के बीच तेल उत्पादक देशों (ओपेक) ने प्रोडक्शन में इजाफा नहीं करने का फैसला किया, जिसके कारण कच्चे तेल का रेट उछलने लगा और यह 70 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचा है। इसके कारण भारत के कई शहरों में पेट्रोल 100 रुपए और डीजल 95 रुपए लीटर बिक रहा है। कीमत पर लगाम कसने के लिए भारत सरकार लगातार ओपेक देशों के साथ बातचीत कर रही है और उनसे प्रोडक्शन में तेजी की अपील की जा रही है, लेकिन इसका असर दिख नहीं रहा है।

भारत तीसरा तेल का आयातक-
भारत दुनिया का तीसरा तेल का आयातक और उपभोगकर्ता है। वह अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है, इसलिए कच्चे तेल के भाव में तेजी का यहां बहुत ज्यादा असर होता है। विनती से बात नहीं बनने पर अब मोदी सरकार ने अपने लिए नए विकल्प पर गौर करना शुरू कर दिया है। सऊदी अरब से तेल का आयात कम करने का फैसला किया है। मई तक आयात को एक चौथाई कम कर दिया जाएगा।

अमरीका बना दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक-
भारत ने अब अमरीका से तेल आयात को बढ़ा दिया है, जिसके कारण सऊदी अरब को पीछे छोड़ अमरीका भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक बन गया है। फरवरी में अमरीका से भारत को तेल निर्यात 48% बढ़ गया है। अमरीका अब रोजाना 5.45 लाख बैरल तेल निर्यात कर रहा है।

मिडिल ईस्ट पर निर्भरता कम करेगा-
सरकार अब मिडिल ईस्ट देशों पर निर्भरता कम करना चाहती है। भारत की रिफाइनरी कैपेसिटी 5 मिलियन बैरल रोजाना है। इसमें 60% कंट्रोल स्टेट रिफाइनरी के पास है। ये सरकारी तेल कंपनियां करीब 14.8 मिलियन बैरल तेल एक महीने में सऊदी अरब से आयात करती हैं। मई में इसे घटाकर 10.8 मिलियन बैरल पर लाने का विचार है। ओपेक देशों ने अप्रेल में सबसे ज्यादा प्रोडक्शन कट का फैसला किया है।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/3cCNGks