नई दिल्ली: कोरोना संकट ( CORONA PANDEMIC ) की वजह से कई सारी कंपनियों ने छंटनी कर दी है । जिसके चलते कई लोग जॉब गंवा चुके हैं। तो वहीं कई कंपनियों ने रिटायरमेंट के करीब खड़े अपने कर्मचारियों को vrs यानि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी है। इस हालत में बेरोजगार हुए लोगों को ग्रैच्युटी ( Gratuity ), वीआरएस भत्ता (VRS Allowances), अतिरिक्त वेतन (Extra Salary) जैसे कई तरह के भुगतान भी किये जा रहे हैं। सुनने में लगता है कि इसी बहाने इन लोगों को पैसों की फिक्र थोड़ा कम होगी लेकिन असल में मिलने वाले ये भुगतान ही लोगों की मुसीबत है।
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दरअसल इन भुगतानों पर इनकम टैक्स ( income tax ) देना पड़ेगा । जिसका सीधा सा मतलब है कि लोगों पर दोहरी मार पड़ना एक और नौकरी का जाना और दूसरे इनकम टैक्स का बोझ। चलिए आपको बताते हैं कि आयकर कानून (IT Act) की किस धारा के तहत नौकरी गंवाने वाले लोगों को इनकम टैक्स चुकाना होगा।
सैलेरी के अलावा मिलते हैं ये पेमेंट्स-
आयकर कानून की धारी 17(3) के तहत किसी भी नौकरीपेशा इंसान को कंपनी की तरफ से वेतन के अलावा मिलने वाले भुगतान ( भत्तों ) पर Income Tax चुकाना पड़ता है। इसी कानून के चलते नौकरी छूटने पर जो भी भत्ते आपको कंपनी के तरफ से दिये जाएंगे उस पर आपको टैक्स देना होगा । अगर आपने नौकरी छूटने के बाद किसी भी दूसरे तरीके से पैसा कमाया है तो अपनी उस आमदनी पर भी आपको टैक्स देना होगा।
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VRS पर मिलती है छूट-
VRS के दौरान सभी भत्तों को मिलाकर चुकाए गए 5 लाख रुपए तक की रकम पर आयकर अधिनियम ( IT Act ) की धारा 10(C) के तहत टैक्स से छूट मिलती है। यहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि VRS पर छूट सिर्फ एक बार मिलती है। इसके अलावा अगर vrs में मिलने वाली रकम व्यक्ति की 3 महीने की सैलेरी से अधिका है तो वो भी टैक्सेबल ( taxable income ) होगी।
साथ ही आपको बता दें कि अगर आपको रकम नौकरी से निकालने के बाद रकम इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट के तहत मिलते हैं तो 5 लाख रुपए की रकम पर टैक्स में छूट का लाभ लिया जा सकता है।
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