Infosys Share Buyback। देश की बड़ी आईटी कंपनियों में एक इंफोसिस शेयर बायबैक ( Infosys Share Buyback ) पर विचार कर सकती है। 13 और 14 अप्रैल को कंपनी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग होने वाली है। जिसमें शेयर बायबैक पर विचार होगा। कंपनी की ओर से सेबी को जानकारी दी है कि 14 तारीख को शेयर बायबैक पर विचार करने जा रही है। जानकारों की मानें तो कंपनी करीब 12 हजार करोड़ रुपए के शेयर बायबैक कर सकती है। वहीं उसी दिन कंपनी अपने तिमाही नतीजे भी जारी कर सकती है। आपको बता दें कि कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग 13-14 अप्रैल, 2021 को बंगलूरू में होने वाली है।
कितना मिल सकता है प्रीमियम
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कंपनी शेयर बायबैक 1650 से 1670 रुपए प्रति शेयर के बीच लाया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो शेयरहोल्डर्स को करीब 14 फीसदी तक फायदा हो सकता है। सोमवार को बंबई स्टॉक एक्सचेंज में इंफोसिस का शेयर सुबह 11 बजे 0.13 फीसदी यानी 1.90 रुपए की गिरावट के साथ 1438.85 रुपए पर कारोबार कर रहा है। कंपनी की ओर से रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा गया है कि 14 अप्रैल को वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2021 तिमाही के वित्तीय नतीजे भी जारी किए जाएंगे।
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इससे पहले कंपनी दो बार ला चुकी है बायबैक
इससे पहले, कंपनी इन्फोसिस दो बार बायबैक ऑफर ला चुकी है। अगस्त 2019 में कंपनी 8,260 करोड़ रुपए का बायबैक ऑफर लेकर आई थी। जिसके तहत कंपनी ने 11.05 करोड़ शेयर को एक बार फिर से खरीद लिया था। कंपनी का पहला शेयर बायबैक दिसंबर 2017 में 13,000 करोड़ रुपए का मूल्य का था। इसमें कंपनी ने 1,150 रुपए प्रति इक्विटी के भाव पर 11.3 करोड़ शेयर की पुनर्खरीद की थी।
शेयर बायबैक किसे कहते हैं
जानकारी के अनुसार कंपनी जब अपने ही शेयर निवेशकों से खुद खरीदती है तो इसे शेयर बायबैक कहा जाता है। बायबैक करने के बाद उन शेयरों की वैल्यू खत्म हो जाती है। बायबैक को टेंडर ऑफर या ओपन मार्केट के माध्यम से किया जा सकता है।
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क्यों किया जाता है शेयर बायबैक
कंपनी की बैलेंसशीट में एक्स्ट्रा कैश होना अच्छे संकेत नहीं है, जिसकी वजह से कंपनी अपने कैश को खपाने के लिए बायबैक लेकर आती है। शेयर होल्डर्स को एक्स्ट्रा रुपया देकर अपने शेयरों को वापस खरीद लेती है। कई बार कंपनियां अपने शेयरों की कीमत को बढ़ाने के लिए बायबैक ऑफर लेकर आती हैं।
क्या होता है प्रोसेस
बायबैक करने का प्रोसेस काफी आसान है। कंपनी का बोर्ड इस प्रस्ताव को मंजूरी देगा। उसके बाद कंपनी बायबैक का ऐलान करती है। रिकार्ड डेट और बायबैक की अवधि का जिक्र होता है. रिकॉर्ड डेट का मतलब यह है कि उस दिन तक जिन निवेशकों के पास कंपनी के शेयर होंगे, वे बायबैक में हिस्सा ले सकेंगे। इसका कंपनी के शेयर पर भी काफी असर पड़ता हैै। शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए मौजूद कंपनी के शेयरों की संख्या घट जाती है। जिससे कंपनी के प्रति शेयर की वैल्यू में इजाफा हो जाता हैं।
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