Saturday, October 22, 2022

फीमेल बॉडी से जुड़ी इस प्रॉब्लम पर फिल्म क्यों नहीं बनती, लारा ने खड़ा किया सवाल

महिलाओं के शरीर से जुड़े इस विषय पर बात क्यों नहीं होती ? यह सवाल खड़ा किया है मिस यूनिवर्स एक्ट्रेस लारा दत्ता ने। दत्ता ने हाल ही एक प्रोग्राम में कहा कि भारत में महिलाओं की, मेडिकल फैसिलिटी तक, विशेष रूप से रिप्रोडक्टिव हैल्थ तक उनकी उचित पहुंच नहीं है। रजोनिवृत्ति (मीनोपॉज) एक महिला के दैनिक जीवन को गहराई से प्रभावित करती है। बावजूद इसके, इस विषय पर हमारे यहां बातचीत का दायरा सीमित है।

लारा ने हाल ही रजोनिवृत्ति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया। लारा ने कहा कि एक्सपर्ट्स के साथ मंच पर होना और डॉक्टरों के पैनल को सुनना मेरे लिए भी आंख खोलने वाला अनुभव रहा। यहां जो कहानियां शेयर की गईं, वे महत्त्वपूर्ण हैं। ऐसे विषयों पर शो और फिल्में निश्चित रूप से बनाई जानी चाहिए।

मीनोपॉज होना एक नेचुरल प्रक्रिया है मतलब यह कोई बीमारी नहीं है, लेकिन मीनोपॉज के दौरान और बाद में महिलाओं को कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसका असर उनके जीवन पर पड़ सकता है।

रजोनिवृत्ति या मीनोपॉज एक नेचुरल बायोलॉजिकल प्रक्रिया है। आमतौर पर महिलाओं में 45 से 50 वर्ष की उम्र में मेनोपॉज की शुरुआत होती है, जिसका मतलब है प्रत्येक महीने होने वाले मेंस्ट्रुअल साइकिल का पूरी तरह से बंद होना। यदि किसी महिला को लगातार 12 महीने पीरियड्स ना हों, तो उसे मेनोपॉज तक पहुंचना कहा जाता है। मेनोपॉज होने से पहले महिलाओं को कई तरह के लक्षण महसूस हो सकते हैं।

यदि आपको हॉट फ्लैशेज, नींद न आना, रात में पसीना आना, सिरदर्द आदि लक्षण दिखें तो इन्हें मैनेज करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करें। अपनी डाइट में पौष्टिक चीजों को शामिल करें। मेनोपॉज से इमोशनल हेल्थ पर भी निगेटिव असर पड़ता है।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/kod5HxQ