Thursday, August 27, 2020

लेटर बम' के बाद Congress में बड़ा फेरबदल, लोकसभा और राज्यसभा के लिए सोनिया गांधी ने की नई नियुक्तियां

नई दिल्ली। पूरा देश कोरोना वायरस संकट (coronavirus Crisis) से जूझ रहा है। वहीं, कोविड-19 संकट के बीच 14 सितंबर से संसद का सत्र भी शुरू होने जा रहा है। इधर, कांग्रेस (Congress) पार्टी में भी बड़ा फेरबदल किया गया है। दरअसल, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के खिलाफ 'लेटर बम' फूटने के बाद असंतुष्ट नेताओं को दरकिनार कर दिया गया है। क्योंकि, कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक में अंदरुनी कलह खुलकर सामने आई थी। ऐसा माना जा रहा है कि यह फेरबदल उसी के मद्देनजर किया गया है।

लोकसभा और राज्यसभा में नई नियुक्तियां

जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा (Loksabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) के लिए कुछ अहम नियुक्तियां की है। राज्यसभा में एक पांच सदस्यीय पैनल का गठन किया गया है। जबकि, लोकसभा में पार्टी के दो सांसदों को वरिष्ठ पदों पर नियुक्त किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्यसभा और लोकसभा में दो ग्रुप होंगे, जिनमें पार्टी के पांच-पांच नेताओं को शामिल किया गया है। राज्यसभा के ग्रुप में केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश, आनंद शर्मा, अहमद पटेल और गुलाम नबी आजाद को रखा गया है। वहीं, गुलाम नबी आजादा राज्यसभा में विपक्ष का नेता आगे भी बने रहेंगे। जयराम रमेश को राज्यसभा के अंदर मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया है। इसके अलावा लोकसभा के अंदर भी पार्टी ने बडा़ फेरबदल किया है। गौरव गोगोई को लोकसभा के अंदर पार्टी का उप नेता नियुक्त किया गया है। जबकि, रवनीत सिंह बिट्टू को सचेतक बनाया गया है। पार्टी ने लोकसभा के अंदर आवाजा बुलंद करने वाले नेताओं मनीष तिवारी, शशि थरूर को साइड लाइन कर दिया है। वहीं, पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नेता कपिल सिब्बल को भी पार्टी ने दरकिनार कर दिया है। उन्हें किसी भी कमेटी में नहीं रखा गया है।

आजाद ने कही ये बात

रिपोर्ट्स की मानें तो कांग्रेस पार्टी (Congress Party) के अंदर यह नई नियुक्तियां असंतुष्ट नेताओं के लिए एक तरह से संदेश भी है। इधर, गुलाम नबी आजाद ( Ghulam Nabi Azad ) ने गुरुवार को एक बार बार फिर CWC के पुनर्गठन की मांग की। आजाद ने कहा कि जिस नेता को कांग्रेस पार्टी के आंतरिक काम में लगाव है, वे हमारे इस प्रस्ताव का स्वागत करेंगे। हालांकि, इस पर अभी तक किसी की प्रतिक्रिया नहीं आई है। आजाद ने कहा कि बीते दिन जो भी हुआ वह बगावती तेवर नहीं, बल्कि पार्टी हित के लिए उठाया गया कदम था। उन्होंने कहा कि 40 सालों से पार्टी में हूं, कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचा। हमेशा पार्टी के हित के बारे में सोचा है। लेकिन, इन नई नियुक्तियों से साफ स्पष्ट है कि जिन नेताओं ने लेटर के जरिए पार्टी पर सवाल उठाए, उन सबको साइड लाइन करने की प्रक्रिया एक तरह से शुरू हो गई है।



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