नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामले एक बार फिर से बढऩे शुरू हो गए हैं। जिसकी वजह से क्रूड ऑयल की कीमतें 5 महीने के निचले स्तर पर चली गई हैं। वहीं दूसरी ओर लीबीया ने अपने प्रोडक्शन में इजाफा कर दिया है और आने वाले दिनों में ओपेक ++ देशों की ओर से प्रोडक्शन कट में रियायत दी जा सकती है। जो बाइडन अगर अमरीकी राष्ट्रपति बने को इरान पर लगे प्रतिबंध भी हटेंगे। जिससे और ज्यादा ऑयल मार्केट में आएगा। मतलब साफ है कि क्रूड ऑयल के दाम में गिरावट का दौर लंबा हो सकता है। जिसका असर भारत में पडऩा तय है। जानकारों की मानें तो आने वाले पांच महीने और पेट्रोल और डीजल के दाम लॉकडाउन में रह सकते हैं। यानी किसी बदलाव की कोई संभावना नहीं है।
क्रूड ऑयल पर कोरोना का कहर
क्रूड ऑयल पर कोरोना वायरस का कहर एक बार फिर से शुरू हो गया है। जिसकी वजह से कीमत 5 महीने निचले स्तर पर चली गई हैं। इंटरनेशनल मार्केट में वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड ऑयल के दाम में 5 महीने के निचले स्तर यानी 35 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गए हैं। जबकि ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 36.72 डॉलर प्रति बैरल पर आ चुकी है। आज डब्ल्यूटीआई में 3.63 फीसदी और ब्रेंट क्रूड ऑयल में 3.22 फीसदी की गिरावट देखने को मिल रही है। आपको बता दें कि हाल के दिनों में फ्रांस, स्पेन, जर्मनी और लंदन में एक बार फिर से कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लगा दिया गया है। जिसकी वजह से क्रूड ऑयल की कीमत में गिरावट देखने को मिल रही है।
लीबीया ने बढ़ाया क्रूड का प्रोडक्शन
वहीं दूसरी ओर डिमांड कम होने क बावजूद लीबीया की ओर स क्रूड ऑयल के प्रोडक्शन में इजाफा कर दिया है। जोकि 6,80,000 बैरल प्रति दिन पर पहुंच गया है। लीबीया इस प्रोडक्शन को और आगे की ओर लेकर जाने वाली है। विदेशी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लीबीया अपने प्रोडक्शन 1 मिलियन बैरल प्रति दिन तक लेकर जाना वाली है। जिसकी वजह से इंटरनेशनल मार्केट में ऑयल की कीमत में और गिरावट देखने को मिल सकती है।
ओपेक ++ का रुख भी रहेगा अहम
वैसे लीबिया मौजूदा समय में ओपेक के प्रोडक्शन कट के आदेश से बाहर है। वहीं ओपेक ++ ने प्रोडक्शन कट के आदेश दिए हुए हैं। रोजाना 7.7 मिलियन बैरल प्रति हिसाब से प्रोडक्शन कम हो रहा है। इराक, यूएई और कुवैत की ओर से सबसे ज्यादा प्रोडक्शन कम किया हुआ है। वैसे सउदी अरब और रूस की ओर से आने वाले 3 महीने और प्रोडक्शन कट के संकेत दिए हैं। लेकिन बाकी मेंबर्स की ओर से इस मामले में कितनी सहमति होगी यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। जानकारों की मानें तो आने वाले ओपेक ++ प्रोडक्शन कट में रियायत दे सकता है।
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ईरान पर से हट सकता है प्रतिबंध
वहीं दूसरी ओर मौजूदा सयम में ईरान पर अमरीकी प्रतिबंध लगा हुआ है। अगर जो बाइडन अमरीकी राष्ट्रपति बने तो ईरान के साथ नई डील के साथ सभी प्रतिबंध भी हट जाएंगे। जिसका असर यह होगा कि ईरान तेल भी बाजार में आ जाएगा। जिसकी वजह से क्रूड ऑयल की कीमत में और गिरावट देखने को मिलेगी। जानकारों का कहना है कि ईरान तेल के मार्केट में आने बाजार में क्रूड ऑयल की उपलब्धता में और इजाफा हो जाएगा। इसका कारण है कि ईरान भी बाकी गल्फ कंट्रीज की तरह ऑयल पर ही डिपेंड है।
पांच महीने लॉकडाउन में रह सकता है पेट्रोल और डीजल
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है जब युरोप और अमरीका में कोरोना पहले वेव और लॉकडाउन जनवरी फरवरी में लगा था। उसके दो महीने के बाद भारत में कोरोना और उसके लॉकडाउन की शुरूआत हुई थी। अब अमरीका और यूरोप में कोरोना वायरस के दूसरे वेव की शुरूआत हो चुकी है। मतलब साफ है कि भारत में भी कोरोना वायरस का दूसरा वेव जनवरी के आसपास आ सकता है। वहीं क्रू ऑयल को लेकर कई कारण ऐसे भी बन रहे हैं, जिनकी वजह से मार्च के महीने तक पेट्रोल और डीजल के दाम लॉकडाउन में रह सकते हैं।
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भारत में 40 दिन से नहीं बढ़े हैं पेट्रोल और डीजल के दाम
भारत के चार प्रमुख महानगरों में पेट्रोल और डीजल की कीमत में डेढ़ महीने से कोई बदलाव नहीं हुआ है। पहले बात डीजल की कीमत करें तो 2 अक्टूबर के बाद से दाम स्थिर देखने को मिल रहे हैं। जबकि बात पेट्रोल की कीमत की करें तो 22 सितंबर के बाद से कोई बदलाव नहीं हुआ है। यानी मार्च 2021 तक पेट्रोल और डीजल की कीमत में अगर कोई बदलाव नहीं होता है तो यह आंकड़ा 6 महीने पहुंच जाएगा।
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