Friday, July 24, 2020

Dil Bechara Movie Review: सुशांत को देख नम हो जाएंगी आंखे, जिंदगी जीना सिखाती है फिल्म

नई दिल्ली | सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की आखिरी फिल्म दिल बेचारा (Dil Bechara) 24 जुलाई को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर शाम 7.30 बजे से पहले ही रिलीज कर दी गई। इस फिल्म ने रिलीज होने के दो घंटे के अंदर ही कई सारे रिकॉर्ड बनाने शुरू कर दिए। ट्विटर पर #DilBecharaDay हैशटेग ट्रेंड करने लगा। यहां तक कि फिल्म की IMDB रेटिंग रात में 10/10 दिखाई दी। जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। आखिरी बार सुशांत को पर्दे पर देखने के लिए हर कोई बेकरार था। देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में दिल बेचारा के रिलीज होने का इंतजार किया जा रहा था। सुशांत को देखकर एक बार उनके चाहने वाले बहुत भावुक हो (Sushant Singh Rajput fans emotional) गए। मानों उनके आंसु रुकने का नाम नहीं ले रहे हो।

फिल्म के शुरू होने के बाद जैसे ही सुशांत सिंह राजपूत की एंट्री होती उनकी मुस्कुराहट देखकर आपके चेहरे पर भी मीठी सी मुस्कान (Sushant Singh Rajput smile) के साथ उनको आगे देखने की उत्सुकता बढ़ जाती है। दिल बेचारा सुशांत की आखिरी बार इसलिए इसकी कमियों के बावजूद आपको ये सुकून देती हैं और जिंदगी जीने का मतलब सिखाती है। हालांकि सुशांत के हर एक एक्सप्रेशन देखकर और डॉयलॉग सुनकर (Sushant expressions and Dailogues) लगता है जैसे वाकई में वो इसे पूरे दिल से आखिरी बार बोल रहे हो।

फिल्म की कहानी

फिल्म की कहानी की बात करें तो जैसा कि आप जानते हैं कि दिल बेचारा हॉलीवुड फिल्‍म ‘दी फॉल्‍ट इन ऑवर स्‍टार्स’ की रीमेक (The Fault In Our Stars) है। कहानी है किज्‍जी बासु (Kizie Basu) और इमैनुएल जूनियर राजकुमार उर्फ मैनी (Manny) की जो एक दूसरे से इस कदर प्यार करने लगते हैं कि एक के जाने के बाद दूसरे का क्या होगा इस सवाल से घिर जाते हैं। फिल्म में किज्‍जी बासु के रोल में एक्ट्रेस संजना सांघी थॉयरॉयड कैंसर (Thyroid Cancer) से लड़ती हुई दिखाई दे रही हैं। वो अपने साथ हर वक्त ऑक्सिजन सिलेंडर (Oxygen Cylinder) लेकर घूमती हैं और इस बात से बेहद परेशान हैं कि उनके जाने के बाद मां-बाप कैसे रहेंगे। अपनी बोरिंग जिंदगी में वो एक इसी सवाल का जवाब तलाश रही हैं कि क्या किसी के मरने के बाद उनके अपने खुश रह सकते हैं? इसी सोच के साथ वो सिंगर अभिमन्‍यु वीर की बहुत बड़ी फैन हैं क्योंकि उनके गानों में वो अधूरापन तलाशती हैं और उसका जवाब जानना चाहती हैं। इसी बीच उनकी लाइफ में एंट्री होती है हमारे हीरो इमैनुएल जूनियर राजकुमार उर्फ मैनी Aka सुशांत सिंह राजपूत की। जो एक बीमारी के कारण एक पांव खोने के बावजूद एक्सट्रा खुश मिज़ाज है, जिंदादिल है, जिंदगी को जीना चाहता है। जमशेदपुर में खूबसूरत लोकेशन्स के बीच किज्जी और मैनी की मुलाकात होती है और थोड़ी सी इग्नोरेंस के बाद प्यार की शुरुआत। बिना इसकी परवाह किए कि इसका मुकाम क्या है जो बेहतरीन मैसेज है। मैनी अपने मजाकिया अंदाज और हरफनमौला स्वभाव से किज्जी की बोरिंग लाइफ को खुशी में बदल देता है। जमशेदपुर (Jamshedpur) से शुरू हुई प्यार की कहानी पैरिस (Paris) पहुंचती है जहां किज्जी का अपने फेवरेट सिंगर अभिमन्यु वीर से मिलने का सपना मैनी द्वारा पूरा किया जाता है। वो उनसे कुछ सवाल जानना चाहती थी लेकिन अभिमन्यु से जवाब सुनकर वो हैरान रह जाती है। यहीं से कहानी में थोड़ा सा ट्विस्ट डालने की कोशिश की गई है। जो मैनी, किज्जी को जीना सिखा रहा होता है वो इस बात का खुलासा करता है कि खुद कैंसर से जूझ रहा है। अब आगे क्या होता इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

फिल्म के डायलॉग्स (Dil Bechara Dialogues)

फिल्म के कुछ डायलॉग्स दिल जीत लेते हैं। सुशांत ने इन वाक्यों को ऐसे बोलते हैं जैसे खुद जी रहे हों। जैसे- 'जन्म कब लेना है और कब मरना है ये तो हम डिसाइड नहीं कर सकते, लेकिन कैसे जीना है ये हम डिसाइड करते हैं।'

दूसरा- 'मैं बहुत बड़े-बड़े सपने देखता हूं पर उन्हें पूरा करने का मन नहीं करता।' सैफ अली खान द्वारा बोला गया डायलॉग - 'जब कोई मर जाता है उसके साथ जीने की उम्मीद भी मर जाती है, पर मौत नहीं आती।' सुशांत द्वारा बोला गया- 'मैं एक फाइटर हूं और मैं बहुत बढ़िया तरीके से लड़ा।'

ऐसे कई डायलॉग आपका दिल जीत लेंगे और सोचने पर मजबूर कर देंगे कि जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए।

एक्टर्स की परफॉर्मेंस

सुशांत सिहं राजपूत और संजना सांघी ने अपनी एक्टिंग (Sushant Sanjana acting) से दिल जीत लिया है। सुशांत ने अपना शत प्रतिशत दिया है, उन्होंने हर इमोशन को पूरी तरह से पर्दे पर उकेरा है। दिल बेचारा हर मायने में हमेशा खास रहेगी क्योंकि ये सुशांत की आखिरी फिल्म (Sushant last film) है। लोग इस फिल्म में सिर्फ और सिर्फ सुशांत को निहार रहे हैं और उन्हें याद कर रहे हैं। हालांकि मुकेश छाबड़ा कई जगहों पर अपने डायरेक्शन (Mukesh Chhabra direction) में चूके हैं जिससे सुशांत की सबसे बेस्ट परफॉर्मेंस कहना थोड़ा मुश्किल है। वहीं न्यूकमर संजना सांघी ने लीड एक्ट्रेस के तौर पर डेब्यू (Sanjana Sanghi debut film) किया है और वो पर्दे पर छा गई हैं। इमोशनल सीन्स बड़ी ही खूबसूरती से कर लेती हैं। सपोर्टिंग एक्टर्स में साहिल वैद्य, शाश्‍वस्‍त चटर्जी और स्‍वास्तिका मुखर्जी (Swastika Mukherjee and Saswata Chatterjee) ने भी बढ़िया काम किया है।

म्यूजिक और डायरेक्शन

मुकेश छाबड़ा ने बतौर डायरेक्टर दिल बेचारा से डेब्यू किया है। उन्होंने अच्छी कोशिश की है लेकिन फिर भी कई जगहों पर वो मौकों को छोड़ते नजर आए। सुशांत जैसे एक्टर को जिस भी सांचे में ढाला जाए वो ढल जाते थे। जिसमें वो थोड़े से चूक गए हैं। वहीं एआर रहमान का म्यूजिक (A.R.Rehman music) गानों को स्पेशल ट्रीटमेंट जरूर देते हैं लेकिन लिरिक्स कमजोर नजर आते हैं। अमिताभ भट्टाचार्या (Amitabh Bhattacharya) अपने लिरिक्स के लिए जाने जाते हैं लेकिन पता नहीं क्यों यहां कमी रह गई? फिल्म को देखकर ऐसा लगता है कि एडिटिंग थोड़ी जल्दबाजी में की गई है। कहीं-कहीं बिना इमोशन डाले ही सीन को आगे बढ़ा दिया गया है। कुल मिलाकर सुशांत की आखिरी फिल्म को दिल से देखिए और जरूर देखिए। मौत से लड़ते हुए या जिंदगी के किसी भी संघर्ष से जूझते हुए जीना कैसे हैं ये जरूर सीख (Dil Bechara message) जाएंगे।



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