Sunday, September 11, 2022

तीन महीने की राहत के बाद त्योहारी सीजन में लगेगा महंगाई का झटका, सर्वे में दावा- आपूर्ति चरमराई, कीमतें बढ़ीं

Inflation in India: भारत में सितंबर-अक्टूबर का महीना त्योहारी सीजन होता है। इस दौरान दुर्गा पूजा, दीपावली, छठ सहित कई त्योहारें आती हैं। जाहिर है पर्व-त्योहार में लोगों का खर्च भी बढ़ जाता है। जिसमें घर का बजट संभालना मुश्किल होता है। अब त्योहारी सीजन को लेकर जो संकेत मिल रहे हैं वो आपकी चिंता को और बढ़ा सकती है। दरअसल बिजनेस एक्सपर्ट का मानना है कि त्योहारी सीजन में महंगाई और बढ़ेगी। इससे लोगों को अपनी जेबें और ढीली करनी पड़ सकती है।

एक्सपर्ट के अनुसार भारत में तीन महीने से खुदरा महंगाई में नरमी का सिलसिला चल रहा है। जो अब थमने जा रहा है। इस बात का खुलासा एक सर्वे में हुआ है। दरअसल रॉयटर्स के सर्वे में कहा गया है कि खाद्य कीमतें बढ़ने की वजह से सितंबर में खुदरा महंगाई की दर एक बार फिर 6.9 फीसदी के स्तर पर पहुंच सकती है। ऐसे में सितंबर से लेकर अक्टूबर तक लोगों को महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी।

 

 

दूध की कीमत बढ़ने से डेयरी प्रोडक्ट हुए महंगे


सर्वें की माने तो खाद्य पद्वार्थों की कीमतें बढ़नी शुरू हो गई है। बीते दिनों दूध की कीमत में बढ़ोतरी के बाद सभी डेयरी प्रोडक्ट पहले से महंगे हो गए हैं। इधर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगस्त खाद्य कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला है। बढ़ती गर्मी से आपूर्ति पर असर पड़ा है, जिससे अनाज, दालों और सब्जियों की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला।

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महंगाई दर 7 फीसदी से ऊपर पहुंचने की आशंका


सर्वे में शामिल 45 अर्थशास्त्रियों ने खुदरा महंगाई के 6.3 फीसदी से लेकर 7.37 फीसदी तक रहने का अनुमान जताया है। इनमें एक चौथाई का मानना है कि महंगाई दर 7 फीसदी से ऊपर पहुंच जाएगी। ऐसे में त्योहारी सीजन में खुदरा महंगाई दर बढ़ेगी। एक्सपर्ट का कहना है कि इस महंगाई से बचने के लिए लोगों को पहले से तैयार रहना चाहिए।

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मई से अभी तक 1.4 फीसदी बढ़ी नीतिगत ब्याज दर


इधर महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई इस साल मई से लेकर अब तक नीतिगत ब्याज दरों में 1.4 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महंगाई दर स्थिर रहने पर त्योहारी सीजन को देखते हुए आरबीआई नरम रुख भी अपना सकता है। आशंका है कि अगर महंगाई अनुमान से तेज बढ़ती है तो केंद्रीय बैंक दरों को लेकर और सख्त रुख अपना सकती हैं। यदि ऐसा हुआ तो ईएमआई का बोझ भी बढ़ेगा।



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