नई दिल्ली। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता केशुभाई पटेल का 92 साल की उम्र में निधन हो गया। केशुभाई पटेल काफी समय से बीमार चल रहे थे और सांस लेने में दिक्कत के बाद उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। कुछ दिन पहले केशुभाई पटले कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। केशुभाई के निधन से बीजेपी और गुजरात ने एक दिग्गज नेता को खो दिया है। केशुभाई की गिनती जाने-माने नेताओं में होती थी। केशुभाई पटेल गुजरात के दो बार सीएम रह चुके हैं और डिप्टी सीएम पद पर भी अपनी सेवा दे चुके हैं। इसके अलावा केशुभाई लोकसभा और राज्यसभा के सांसद भी रह चुके हैं। केशुभाई ने कई बार गुजरात की राजनीति में अपने कामों के जरिए भूचाल लाया है। लेकिन, केशुभाई गुजरात के ऐसे नेता हैं, जो दो बार मुख्यमंत्री तो बनें, लेकिन दोनों बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया। इतना ही नहीं दोनों बार कार्यकाल का महीना भी बराबर रहा।
सांसद से लेकर CM तक का कार्यकाल नहीं हुआ पूरा
केशुभाई का जन्म 24 जुलाई, 1928 को जूनागढ़ स्टेट( ब्रिटिश इंडिया ) में हुआ था। 1977 में पहली बार केशुभाई राजकोट लोकसभा सीट से सांसद बने थे। वहीं, चार मार्च, 1990 को वह गुजरात के डिप्टी सीएम बने। लेकिन, अक्टूबर महीने में ही वह डिप्टी सीएम पद से हट गए। इसके बाद 4 मार्च, 1995 को वह गुजरात के मुख्यमंत्री बने। लेकिन, 21 अक्टूबर, 1995 को उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी। फिर, 4 मार्च 1998 को वह दोबारा गुजरात के मुख्यमंत्री बने, लेकिन इस बार भी 6 अक्टूबर, 2001 को उन्हें सीएम पद की कुर्सी छोड़नी पड़ी। मसलन, दो बार सीएम बनने के बाद उन्हें पांच साल तक राज करने का मौका नहीं मिला। अप्रैल, 2002 में वह राज्सभा सदस्य बने। केशुभाई पटेल का राजनीति करियर तो काफी लंबा रहा, लेकिन राज नहीं कर पाए। ना तो सांसद का कार्यकाल पूरा कर पाए और ना ही सीएम का। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी पार्टी भी बनाई, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
केशुभाई ने अपनी पार्टी भी बनाई
बीजेपी छोड़ने के बाद केशुभाई पटेल ने 4 अगस्त, 2012 को अपनी राजनीतिक पार्टी 'गुजरात परिवर्तन पार्टी' की घोषणा की। लेकिन, उस साल विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को केवल दो सीटों पर ही जीत मिली। जनवरी, 2014 में उन्होंने GPP के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। कुछ समय बाद उन्होंने स्वास्थ्य के कारण विधायकी पद से भी इस्तीफा दे दिया। वहीं, 13 फरवरी, 2014 को उनकी बीजेपी में मर्ज हो गई। इसके बाद वह एक बार फिर बीजेपी से जुड़ गए। लेकिन, विगत कुछ समय से वह काफी बीमार चल रहे थे। लिहाजा, गुजरात की राजनीति में उनकी सक्रिय भूमिका लगभग खत्म हो गई थी।
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