Monday, January 17, 2022

जब अनिल कपूर के परिवार को रहना पड़ा था राज कपूर के गैराज में

हिंदी सिनेमा में आज जो भी मुकाम अनिल कपूर ने हासिल किया है उसमें सबसे पड़ा रोल मेहनत का है। उनको इस कामयाबी ने मुंबई में एक आलिशान घर दिलवाया साथ ही नाम और शोहरत जो हर किसी का सपना होता है आज सब उनके पास है। उनके पास बंगला, गाड़ी, नौकर-चाकर हर सुख-सुविधा मौजूद है। लेकिन शायद कम ही लोग जानते हैं कि एक वक्त ऐसा भी था, जब वो अपने परिवार के साथ राज कपूर के गैराज में रहा करते थे।

अनिल कपूर ने उमेश मेहरा की फिल्म 'हमारे तुम्हारे' से डेब्यू किया था। 'हम पांच' और 'शक्ति' जैसी फिल्मों में सपोर्टिंग रोल करने के बाद उन्हें 1983 में आई फिल्म 'वो सात दिन' से पहला बड़ा ब्रेक मिला। यह फिल्म 23 जून 1983 को रिलीज हुई थी। फिल्म में अनिल के साथ एक्ट्रेस पद्मिनी कोल्हापुरे और नसीरुद्दीन शाह नजर आए थे। 1984 में आई यश चोपड़ा की 'मशाल' से उन्हें पहचान मिली। लेकिन उनको पॉपुलैरिटी फिल्म 'मिस्टर इण्डिया' से मिली।

बता दें कि शेखर कपूर की फिल्म 'मिस्टर इण्डिया' का रोल अनिल कपूर के लिए नहीं लिखा था। वे इस फिल्म में अमिताभ बच्चन या राजेश खन्ना को लेना चाहते थे लेकिन पहले अमिताभ और फिर राजेश खन्ना ने भी उन्हें इस फिल्म को करने से मना कर दिया। इसके बाद ये फिल्म अनिल के पास गई।

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अनिल कपूर जाने-माने निर्देशक सुरेन्द्र कपूर के बेटे हैं। अनिल कपूर के पिता सुरेंद्र कपूर मुंबई जब अपनी किस्मत आजमाने आये थे तो आर्थिक स्थिति उनकी कुछ खास नहीं थी। पत्नी और बच्चों के साथ वो पैसे कमाने आये थे। जब वह मुंबई आये तो कोई ठिकाना उनके पास रुकने का नहीं था। अनिल कपूर के पिता सुरेन्द्र कपूर और राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर के कजिन हैं। जब सुरेंद्र कपूर मुंबई आये तो उन्होंने मदद राज कपूर से मांगी। तो राज कपूर ने उन्हें अपने गैराज में ठहराने की व्यवस्था कराई थी।

बाद में सुरेंद्र पूरे परिवार के साथ मिडिल क्लास इलाके में एक कमरा किराए पर लेकर रहने लगे थे। अनिल कपूर के पिता सुरेंद्र कपूर की लगन के चलते उनके परिवार को एक अच्छी लाइफ मिल पाई। सुरेंद्र कपूर फिल्म डायरेक्टर थे इसलिए अनिल का रुझान शुरू से फिल्मों की तरफ रहा। अनिल ने बतौर लीड एक्टर अपनी पहली डेब्यू फिल्म 1980 में तेलुगु सिनेमा में की थी। यह फिल्म थी 'वामसा व्रुक्षम'।

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अनिल अभी स्ट्रगल ही कर रहे थे तभी उनकी लाइफ में जानी-मानी मॉडल सुनीता ने एंट्री की। बाद में वो उनकी गर्लफ्रेंड बनीं। अपने एक्टिंग का करियर की शुरु करने से पहले, अनिल कपूर की हालत इतनी खराब थी कि उनके पास टैक्सी का किराया देने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। ऐसे में उनकी ही गर्लफ्रेंड सुनीता उनकी मदद करती थीं। जो बाद में उनकी पत्नी बनीं। जब अनिल संघर्ष कर रहे थे, वहीं अनिल कपूर का खर्चा उठाती थीं। साल 1984 में आई फिल्म 'मशाल' से अनिल कपूर के करियर ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी और इस साल ही उन्होंने 19 मई को सुनीता से शादी कर ली।

आपको बता दें, अनिल और सुनीता की शादी पर उनके परिवार वालों को तो आपत्ति नहीं थी, लेकिन अनिल के बॉलीवुड के दोस्तों को आपत्ति थी। उन्होंने अनिल को सलाह दी कि शादी के बाद उनका करियर खत्म हो जाएगा। इसलिए दो बार उन्होंने शादी की डेट भी टाल दी थी। सुनीता को अनिल कपूर का लकी चार्म भी कह सकते है। क्योंकि सुनिता से शादी करने के बाद अनिल कपूर के करियर ने जो रफ्तार पकड़ी उसके बाद एक्टर ने एक के बाद एक जबरदस्त हिट फिल्में दी। वही शादी के बाद सुनीता ने अनिल के करियर को ही अपना करियर मान लिया। उन्होंन मॉडलिंग छोड़ दी और वो पति के साथ ही बिजी हो गईं। वो उनके ड्रेस डिजायन करने के साथ बाकी काम भी संभालने लगीं।

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कई फिल्में करने के बाद 1988 में एन. चंद्रा की 'तेजाब' के लिए अनिल कपूर को बेस्ट एक्टर का पहला फिल्मफेयर मिला। इसके बाद 1992 में फिर एक बार 'बेटा' फिल्म से बेस्ट एक्टर बने। इसके बाद अनिल कपूर ने कई सफल फिल्में कीं। इनमें 'मेरी जंग', 'मशाल', 'विरासत', 'राम लखन', 'युद्ध', 'बीवी नं.-1', ' तेजाब', 'ताल', 'परिंदा', 'पुकार', 'घर हो तो ऐसा', 'साहेब', 'काला बाजार', 'किशन कन्हैया', 'जमाई राजा', 'ईश्वर', 'नायक', ' दिल धड़कने दो', '1942 ए लव स्टोरी', 'रेस 2' और 'नो एंट्री' जैसे नाम शामिल हैं।

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