Thursday, April 14, 2022

Cotton price rise to record high: रुई के दामों में आग, कॉटन के आयात से सीमा शुल्क हटाई

जयपुर। केंद्र सरकार ने कॉटन को आयात शुल्क से मुक्त कर दिया है। राजस्थान के लिए महत्वपूर्ण मानी जानी इंडस्ट्री टैक्सटाइल के लिए मोदी सरकार ने बुधवार बड़ी राहत प्रदान की है। इससे ग्राहकों को भी राहत मिलने की आस है। दरअसल मोदी सरकार ने कॉटन पर 30 सितंबर तक सीमा शुल्क हटा दिया है। अभी तक, कॉटन के आयात पर 11 फीसद टैक्स लगता था। इसमें पांच फीसद बेसिक कस्टम ड्यूटी और 5 फीसद एग्री इंफ्रा डेवलपमेंट सेस भी शामिल है। कॉटन को सीमा शुल्क से बाहर कर देने से भारत आने वाले कपड़े की कीमतें घट जाएंगी। इससे ग्राहकों को कपड़े की महंगाई से निजात मिलेगी। सरकार के इस फैसले से पूरी टेक्सटाइल चेन- यार्न, फैब्रिक, गारमेंट्स और मेड अप्स को फायदा होगा। साथ ही टेक्सटाइल एक्सपोर्ट को भी फायदा पहुंचेगा। लेकिन इसके साथ ही भारत की मांग बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन के दाम बढ़ने भी शुरू हो गए हैं। फिलहाल भारत में आज से 4 दिन का अवकाश है, इसलिए भारत में इसका क्या असर होगा, इसका असर दिखने में समय लगेगा।

अधिसूचना 14 अप्रेल से लागू

गौरतलब है कि कपड़ा उद्योग घरेलू कीमतों में कमी लाने के लिए शुल्क से छूट की मांग कर रहा था। केंद्रीय अप्रत्यक्ष और सीमा शुल्क बोर्ड ने कपास आयात के लिये सीमा शुल्क और कृषि अवसंरचना विकास उपकर से छूट को अधिसूचित किया है।
सीबीआईसी ने कहा है कि ये अधिसूचना 14 अप्रैल, 2022 से प्रभाव में आएगी और 30 सितंबर, 2022 तक लागू रहेगी। इस छूट से पूरे कपड़ा क्षेत्र को लाभ होगा। इनमें धागा, परिधान आदि शामिल हैं। जानकारों के अनुसार वित्त मंत्रालय के इस फैसले से कपड़ा उद्योग के साथ उपभोक्ताओं को भी लाभ देने के लिए उठाया गया है। साथ ही उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी। कपड़ा निर्यात को भी फायदा होने की आस है। लेकिन ऐसा होने के आसार कम दिख रहे हैं।

दाम घटने के आसार नहीं

लेकिन सरकार के इस फैसले से दाम घटने के आसार नहीं हैं। पृथ्वी फिनमार्ट के मनोज जैन ने पत्रिका को बताया कि सरकार के इस फैसले के पहले एमसीएक्स पर कॉटन के दाम 44 हजार रुपए प्रति बेल हो गए थे, जो कि अभी के रिकॉर्ड दाम हैं। इसलिए सरकार ने महंगाई को काबू करने के लिए आयात शुल्क को हटाया है। जैन ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी भारत के इस कदम के बाद कॉटन के दाम 3 प्रतिशत बढ़ गए हैं। बाजार को उम्मीद है कि भारत से डिमांड बढ़ने से कॉटन की मांग बढ़ेगी, जिसकी सप्लाई पहले ही कम है। इसलिए इस मोर्चे पर महंगाई कम होने की आस अधिक नहीं है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन की उपलब्धता बेहद कम

वहीं केडिया एडवाइजरी से अजय केडिया ने पत्रिका को बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन की उपलब्धता बहुत कम है। इसलिए इस फैसले से कोई फर्क नहीं बढ़ेगा। लोगों का ध्यान फिलहाल युद्ध के कारण खाद्य कमोडिटी के उत्पादन और प्रबंधन पर ज्यादा है, दुनिया भर में ऑयल सीड का प्रोडक्शन बढ़ रहा है। इसलिए चालू सीजन में कॉटन की बुवाई कम होने की आशंका है। दूसरी ओर लॉकडाउन खुलने के बाद से टैक्सटाइल की डिमांड बढ़ी है। अब लोग बाहर निकल रहे हैं, इसलिए डिमांड बढ़ रही है। वहीं पिछले तीन सालों में भारत में कॉटन की सबसे कम अराइवल रही है। कोई हैरानी नहीं कि एमसीएक्स पर फिलहाल कॉटन 44 हजार प्रति बेल चल रहा है जो छह माह में 60 हजार रुपए प्रति बेल हो जाएगा।

देर से हटाया आयात शुल्क

ये आयात शुल्क पहले हटाया जाना चाहिए था। दिसंबर से इंडस्ट्री ये मांग करती आ रही थी। अब जबकि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ चुके हैं तो ऊंचे दाम पर आयात करने से महंगाई से राहत मिलने के कोई आसार नहीं हैं।
कमल शर्मा, कमोडिटी एक्सपर्ट व संपादक, मोलतोल

दो गुने तक बढ़ गए नरमा के दाम
पिछले साल नरमा के दाम राजस्थान में 5000 से 6000 रुपए प्रति क्विवंटल बोले गए थे जो कि इस साल 11000-12000 रुपए प्रति क्विवंटल तक बिक गया।
पुखराज चौपड़ा, पूर्व अध्यक्ष, बीकानेर मंडी

वहीं सरकार के इस फैसले से टैक्सटाइल कारोबारी संगम मोदानी ने संतोष जताया है। मोदानी ने कहा कि आयात शुल्क हटाने से कुछ राहत तो महंगाई से मिलेगी। मोदानी ने बताया कि वे पिछले तीन माह से आयात शुल्क हटाने की मांग करते आ रहे थे। देर ही सही, लेकिन सरकार ने हमारी सुनी है।



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