हाइलाइट्स
आम आदमी की पहुंच से दूर रहेगी आम की मिठास
सफेदा आम हुआ 150 रुपए किलो
पिछले साल से तीन गुना महंगी हुई आम की मिठास
पके आम के साथ कच्चे आम के दाम भी हुए दोगुने से पांच गुने
आम आदमी को आम के दूरदर्शन से करना हो संतोष
जयपुर। मौजूदा सीजन में आम की मिठास तीन गुनी तक महंगी हो गई है और इसके दामों में कमी के कोई आसार नहीं हैं। इस कारण फलों का राजा आम इस बार आम आदमी की पहुंच से दूर ही रहने के आसार हैं। मुहाना फल मंडी के महामंत्री कैलाश फाटक ने बताया कि इस बार आम की फसल 20 प्रतिशत ही रही है। पूरे देश में गर्मी समय से पहले बढ़ जाने के कारण आम की 70 से 80 प्रतिशत फसल तक खराब हो गई है। इस कारण आम के दाम थोक में 70 -90 रुपए प्रति किलो तक बने हुए हैं। जबकि पिछले मौसम में ये थोक में 30 से 45 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा था।
आम आदमी आम के दूरदर्शन से ही करना होगा संतोष
राजस्थान के सबसे बड़े फल और आम कारोबारी कैलाश फाटक ने बताया कि अभी फिलहाल सफेदा आ रहा है जो रास्ते में ही पक जाता है और उपलब्ध हो जाता है। लेकिन आगे तो लंगड़ा, केसर और दशहरी आम आने वाले हैं जो रिटेलर को कुछ दिन रखकर अपनी गोदाम में पकाने होंगे, इसलिए इनके दाम और भी अधिक हो सकते हैं।
फाटक ने बताया कि फिलहाल राजस्थान की मुहाना मंडी में आम हैदराबाद से आ रहा है। फसल काम है इसलिए आवक कम है और सफेदा के 25 मई तक ही चलने की संभावना है। इसके बाद सफेदा बाजार से खत्म हो जाएगा। इसलिए दाम गिरने के कतई आसार नहीं हैं।
ये है आम के दामों का गणित
आम के थोक विक्रेता बनवारी के अनुसार रिटेलर को आम प्रति किलो 100 से 110 रुपए किलो का पड़ रहा है। बनवारी के अनुसार थोक दाम पर 7 प्रतिशत आढ़त होती है और इसके बाद मजदूरी होती है। इसलिए रिटेलर के लिए इसके दाम 100 रुपए प्रति किलो से अधिक हो जाते हैं।
फिर एक पेटी में कुछ आम खराब भी निकलते हैं। इसलिए इनको दिनभर ठेले-ठेले पर घूमकर बेचने वाले वेंडर को आम को 130 से 150 रुपए प्रति किलो से कम पर बेचने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता। इस तरह से इस मौसम में आम तो आम आदमी से दूर ही रहने वाला है।
हापुस आम के दूर दर्शन भी होंगे मुश्किल
राजस्थान में फिलहाल आम दक्षिण से आ रहा है और आगे ये गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से आना शुरू हो जाएगा। गुजरात में केसर है तो उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और दूसरे राज्यों में लंगड़ा और दशहरी। लंगड़ा, दशहरी और केसर आम भी अगले दो-तीन सप्ताह में शुरू हो जाएगा। लेकिन इनके दाम भी सफेदा के ही तरह ऊंचे ही रहने वाले हैं और महाराष्ट्र से आने वाले हापुस के दाम तो शायद आम आदमी के दूर दर्शन के लिए भी उपलब्ध नहीं होंगे। क्योंकि इसके दाम पहले ही 500 से 1000 रुपए किलो रहते आए हैं। अब उत्पादन कम होने से शायद ये पूरी तरह से इस बार एक्सपोर्ट तक ही सीमित रह जाएंगे।
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