वेदांता समूह देश की सरकारी पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड यानि BPCL को खरीदने की तैयारी में है। बीपीसीएल को खरीदने के लिए समूह इस अधिग्रहण के लिए 12 अरब डॉलर खर्च करने को तैयार है। भारतीय करेंसी के मुताबिक ये राशि करीब 887.10 अरब रुपए है। दरअसल भारत सरकार लंबे समय से बीपीसीएल का विनिवेश करना चाहती है, लेकिन इसके विनिवेश को लेकर लगातार देरी हो रही है। ये माना जा रहा है कि सरकार को मनमानी कीमत या हिस्सेदारी नहीं मिल रही है। हालांकि इस बीच वेदांता की ओर से दिखाई जा रही दिलचस्पी सरकार के लिए भी अच्छा विकल्प हो सकती है।
वेदांता ग्रुप भारतीय पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड को खरीद लेता है तो ये बिक्री देश की सबसे बड़ी एसेट सेल में शामिल होगी। हाल में वेदांता ग्रुप के चेयरमैन और अरबपति अनिल अग्रवाल ने एक इंटरव्यू में कहा था कि, हम आक्रामक तरीके से बोली नहीं लगाने जा रहे हैं, लेकिन हम सही कीमत रखेंगे। उन्होंने कहा कि कंपनी का मार्केट कैप करीब 11 अरब डॉलर से 12 अरब डॉलर है। इसलिए हम इसे निवेश के तौर पर देख रहे हैं।
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BPCL के प्राइवेटाइजेश की भारत सरकार की योजना मुश्किलों का सामना कर रही है। बिडर्स को भागीदारों को खोजने और बड़े अधिग्रहण के लिए अपने वित्तीय जोखिमों को बढ़ाने के लिए संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है।
देश उम्मीद कर रहा था कि ऑयल की दिग्गज वैश्विक कंपनियां बिक्री में भाग लेने के लिए निवेश कोष के साथ मिलकर सामने आएंगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वहीं अनिल अग्रवाल को इस बात की उम्मीद है कि, भारत इसी वर्ष मार्च के महीने में बीपीसीएल के लिए बोलियां खोलेगा।
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ये दो कंपनियां भी रेस में
बीपीसीएल की खरीदारी के लिए सिर्फ वेदांत समूह आगे नहीं है, इसके अलावा, निजी इक्विटी फर्म अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट और आई स्क्वेयर्ड कैपिटल ने भी तेल रिफाइनर में सरकार की हिस्सेदारी हासिल करने में रुचि दिखाई है।
इस बीच बीपीसीएल के निजीकरण की प्रक्रिया में देरी होने की आशंका जाहिर की जा रही है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि निजीकरण की प्रक्रिया अगले वित्त वर्ष में पूरी हो सकती है।
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