कोरोना महामारी का असर बिजनेस से लेकर नौकरीपेशे तक सभी पर पड़ा है। वर्ष 2020 से लेकर अब तक कई क्षेत्रों में वेतनभोगियों की तनख्वाह में काफी कटौती हो रही है। कोविड के चलते कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम दे दिया गया। इसके चलते इंटरनेट, टेलीफोन, फर्नीचर और बिजली का बिल पहले से ज्यादा बढ़ गया है।ऐसे में वर्क फ्रॉम होम करने वाले कर्मचारियों के लिए सरकार इस बार यूनियन बजट में बड़ा तोहफा दे सकती है। नौकरीपेशा को सरकार से वर्क फ्रॉम होम अलाउंस की सौगात मिल सकती है
देश के टैक्सपेयर्स को इस बार बजट 2022 से काफी उम्मीदें है। वित्त मंत्री से भी आशा की जा रही है कि वो अपने बजट में टैक्सपेयर्स को निराश नहीं करेंगी। खासतौर पर कोरोना काल में अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए टैक्सपेयर्स को राहत दी जा सकती है। इस बार नौकरीपेशा को बड़ा फायदा दिया जा सकता है। खासतौर पर उन लोगों को जो वर्क फ्रॉम होम करते आ रहे हैं। ऐसे में ऐसे कर्मचारी जो अपने घरों से काम कर रहे हैं उनको 50 हजार रुपए तक का वर्क फ्रॉम होम डिडक्शन दिए जाने की मांग भी की गई है।
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दरअसल Work from home की वजह से कर्मचारियों को खर्चों में बढ़ोतरी हो गई है। फर्नीचर से लेकर इंटरनेट बिल, बिजला का बिल आदि ऐसे खर्चे हैं जो कर्मचारियों को ही वहन करना पड़ रहे हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि वर्क फ्रॉम होम वाले कर्मचारियों को सरकार की ओर से अलाउंस दिया जाए। आगामी बजट में नौकरीपेशा को सरकार से वर्क फ्रॉम होम अलाउंस की सौगात मिल सकती है।
50 हजार तक की छूट
टैक्स सर्विसेज और फाइनेंशियल सर्विस देने वाली कंपनी Deloitte India ने भी वित्त मंत्री से मांग की है कि कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम अलाउंस दिया जाए। सरकार सीधे अलाउंस नहीं दे सकती तो टैक्स में छूट का प्रावधान करे।
इसके लिए ब्रिटेन में वर्क फ्रॉम होम के कल्चर का भी जिक्र किया गया। दरअसल ब्रिटेन में कर्मचारियों को टैक्स रिलीफ देने के लिए सरकार ने खास नियम बनाए हैं। ऐसे में इसी तर्ज पर भारत में टैक्स में छूट देकर राहत दी जा सकती है। कंपनी की सलाह है कि जो कर्मचारी अपने घरों से काम कर रहे हैं उन्हें 50 हजार रुपए तक का वर्क फ्रॉम होम डिडक्शन दिया जाए।
वहीं इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया ने भी मांग रखी है कि सरकार को बजट में वर्क फ्रॉम वर्कर्स को टैक्स रिलीफ देना चाहिए।
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स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट भी बढ़े
इसके साथ ही आईसीएआई ने स्टैंडर्ड डिडक्शन में भी छूट बढ़ाए जाने की मांग की है। आईसीएआई ने कहा है कि सरकार आगामी बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को 50 हजार रुपए तक बढ़ाए। इसे बढ़ाकर अब 1 लाख रुपए तक कर देना चाहिए।
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