पांचवें और नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, भारत ने पिछले पांच वर्षों में पुरुषों और महिलाओं दोनों में मोटापे में चार प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। मोटापे से ग्रस्त महिलाओं की संख्या 24 फीसदी हो गई है जो कभी वर्ष 2015 में 20 फीसदी के करीब थी। पुरुषों में मोटापा 18 फीसदी से 22 फीसदी के करीब हो गई है। इस बढ़ते मोटापे ने नीति आयोग की टेंशन बढ़ा दी है। ऐसे में नीति आयोग इसे नियंत्रित करने के लिए एक नया प्रस्ताव लेकर आया है। इस प्रस्ताव के तहत चीनी, वसा और नमक वाले खाद्य प्रदार्थों पर टैक्स बढ़ाने और ‘फ्रंट-ऑफ-द-पैक लेबलिंग’ करने पर विचार कर रही है।
फ्रंट-ऑफ-द-पैक लेबलिंग (FOPL)से उपभोक्ताओं को अधिक चीनी, नामक और वसा वाले उत्पादों की पहचान करने में मदद मिलेगी। नीति आयोग की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बढ़ते मोटापे से निपटने के लिए चीनी, वसा और नमक पर उच्च खाद्य पदार्थों पर कराधान और फ्रंट-ऑफ-द-पैक लेबलिंग जैसी कार्रवाई कर सकता है।
नीति आयोग ने लिखा, "मोटापे के मुद्दे से निपटने के लिए नीतिगत विकल्पों पर चर्चा करने के लिए 24 जून, 2021 को नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य), अध्यक्षता में मातृ, किशोर और बचपन को मोटापे से बचाने के लिए राष्ट्रीय परामर्श आयोजित किया गया था।"
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इस रिपोर्ट में बताया गया है कि "नीति आयोग आर्थिक विकास संस्थान (IEG) और भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठन (PHFI) के सहयोग से इस दिशा में काम कर रहे हैं। इस दिशा में किए जा सकने वाले कार्यों को समझने के लिए उपलब्ध सबूतों की समीक्षा की जा रही है, जैसे एचएफएसएस खाद्य पदार्थों के फ्रंट-ऑफ-पैक लेबलिंग, मार्केटिंग और विज्ञापन और वसा, चीनी और नमक में उच्च खाद्य पदार्थों पर टैक्स।"
गैर-ब्रांडेड नमकीन, भुजिया, सब्जी चिप्स और स्नैक फूड पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगता है जबकि ब्रांडेड और पैक्ड वस्तुओं के लिए जीएसटी दर 12 प्रतिशत है। अब ये दर बढ़ाई जा सकती है।
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