Tuesday, February 22, 2022

Russia-Ukraine Crisis: रूस-यूक्रेन में जंग हुई तो क्या-क्या चीज़े हो सकती है महंगी?

इन दिनों दुनिया भर की निगाहें यूक्रेन-रूस बॉर्डर पर टिकी हुई हैं। दोनों देशों के बीच विवाद युद्ध की तरफ बढ़ता जा रहा है। एक तरफ रूस को अतिरिक्त सैन्य बल देश के बाहर प्रयोग करने की तैयारी कर रहा है। दूसरी तरफ यूक्रेन के राष्ट्रपति भी अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती के आदेश दे दिए हैं। इस विवाद के बीच भारत ने पहली बार इस हफ्ते आधिकारिक बयान जारी किया है। भारत ने दोनों पक्षों से शांति की अपील की है। दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव पर भारत करीब से भर बनाए हुए हैं। दोनों ही देशों से भारत के संबंध काफी गहरे हैं ऐसे में किसी भी तरह का युद्ध भारत पर बड़ा प्रभाव डाल सकते है। भारत की आर्थिक स्थिति अभी संभलनी ही शुरू हुई थी। ऐसे में इस तनाव से भारत की आर्थिक स्थिति और व्यापार को नुकसान पहुँच सकता है।

इन दोनों देशों के बीच जंग होने से इसका सीधा प्रभाव आम आदमी की जेब पर पड़ सकता है। तेल की कीमतों में उछाल, महंगाई दर जिससे जनता पहले से ही परेशान है वो और बढ़ सकती है। प्राकृतिक गैस से लेकर गेहूं सहित विभिन्न अनाजों की कीमतों में भारी उछाल आ सकता है।

कच्चे तेल की कीमतों में उछाल

भारत कच्चा तेल के लिए आयात पर निर्भर हैं और रूस इसके प्रमुख सप्लायर में से एक है। यदि जंग होती है तो कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर के लेवल को पार कर सकता है। इससे भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा जिसका प्रभाव विदेशी मुद्दा भंडार पर भी पड़ेगा। इससे देश में एक बार फिर से महंगाई दर बढ़ सकती है।

एलपीजी और केरोसिन पर बढ़ेगी सब्सिडी

कच्चे तेल कि कीमतों में उछाल आने से LPG और केरोसिन पर सब्सिडी बढ़ सकती है जिससे भारत का सब्सिडी बिल भी बढ़ेगा। इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर होगा।

पेट्रोल और डीजल की कीमतें अचानक से बढ़ जाएंगी

वर्ष 2021 के आखिरी महीनों से आम आदमी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी से परेशान था जिसके बाद चुनावों को देखते हुए केंद्र सरकार ने थोड़ी राहत दी थी। अब यदि रूस-यूक्रेन के बीच तनाव जारी रहा तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर इसका सीधा असर पड़ेगा।

वर्तमान में दिल्ली में पेट्रोल और डीजल 95.3 रुपये और 86.7 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है। पिछले साल टैक्स कटौती के बाद से तेल कंपनियों ने कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड का भाव बढ़ने से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि देखने को मिल सकती है।

गेहूं के दाम पर बड़ा प्रभाव

रूस दुनिया के सबसे बड़े गेहूं निर्यातकों में से एक है, जबकि यूक्रेन गेहूं का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। दोनों देशों के गेहूं निर्यात को मिला दें तो ये कुल वैश्विक निर्यात का लगभग एक चौथाई हिस्सा है।

ऐसे में यदि काला सागर क्षेत्र से गेहूं के व्यापार पर किसी तरह की बाधा आती है तो अन्य देशों तक गेहूं को पहुंचाना कठिन हो जाएगा। पहले ही कोरोना के कारण तेल और खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि देखने को मिली थी। इस जंग से गेंहू आवश्यक देशों तक निर्यात के जरिए नहीं पहुँच सकेगा। इससे कई देशों में गेंहु की कीमतों पर प्रभाव पड़ सकता है।

जो देश रूस या यूक्रेन से गेहूं निर्यात करते थे वो अब भारत का रुख कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत के गेहूं की मांग बादही है। यदि जंग होती है तो भारत के गेहूं निर्यात में बढ़ोतरी अवश्य हो सकती है।

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खाने के तेल के दाम में होगी वृद्धि

ट्रेडिंग इकोनॉमिक्स के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने वर्ष 2020 में यूक्रेन से 1.45 बिलियन डॉलर के खाने वाले तेल को खरीदा था। इसकी आपूर्ति बाधित होती है तो देश में इसके दाम भी बढ़ सकते हैं।

खाद और न्यूक्लियर रिएक्टर व बॉयलर की आपूर्ति पर प्रभाव

भारत ने वर्ष 2020 में लगभग 210 मिलियन डॉलर का खाद और लगभग 103 मिलियन डॉलर का न्यूक्लियर रिएक्टर व बॉयलर खरीदा था। यूक्रेन न्यूक्लियर रिएक्टर व बॉयलर के मामले में भारत का सबसे बड़ा सप्लायर है। यदि इसकी आपूर्ति बाधित होती है तो भारत के न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े प्रोजेक्ट पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।

हथियार हो सकते हैं महंगे

पहले ही जंग की स्थिति को देखते हुए पैलेडियम, ऑटोमोटिव एग्जॉस्ट सिस्टम और मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाली धातु की कीमतों में वृद्धि देखने को मिल रही है। बता दें कि रूस पैलेडियम का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश है।

भारत के हथियारों के आयात पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। रूस और यूक्रेन के बीच जंग होने पर भारत के हथियार बाजार पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।

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