रूस और यूक्रेन के बीच जंग का सीधा असर बाजार में देखने को मिला। गुरुवार को बाजार में खासी गिरावट दर्ज की गई है। निवेशकों के पीछे हटने और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण घरेलू शेयर बाजारों में गुरुवार की सुबह तीन प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई और वैश्विक शेयर बिकवाली में शामिल हो गए। सुबह 10.20 बजे इंट्रा-डे ट्रेड में बेंचमार्क सेंसेक्स 1,668 अंकों की गिरावट के साथ 55,563.92 पर और एनएसई निफ्टी इंडेक्स 488 अंकों की गिरावट के साथ 16,574.80 पर कारोबार कर रहा था।
यूक्रेन में लंबे समय तक संकट की आशंका और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव से चिंतित निवेशकों ने अपनी पोजिशन में भी कटौती की है।
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वैश्विक बाजार की स्थिति
यूक्रेन संकट के बढ़ने के साथ, आपूर्ति और प्रतिबंधों में व्यवधान की चिंताओं के बीच ब्रेंट ऑयल ने $ 100 का आंकड़ा पार कर लिया और एशिया-प्रशांत शेयरों में गिरावट आई है। अनिश्चितता के समय में एक सुरक्षित संपत्ति माना जाने वाला सोना भी एक प्रतिशत बढ़ गया। गोल्ड ने अंतिम बार 1,932 डॉलर पर कारोबार किया।
युद्ध के बीच जापान, हांगकांग, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया के शेयर बाजारों में तीन फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई। बुधवार को डाओ जोंस 1.38 फीसदी और नैस्डैक में 2.6 फीसदी की गिरावट आई।
भारतीय बाजार कैसा कर रहे हैं?
सेंसेक्स 1,800 अंक की गिरावट के साथ कारोबार के लिए खुला। आईटी, टेलीकॉम, रियल्टी, ऑटो और मेटल शेयरों में चार फीसदी तक की गिरावट के साथ सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान पर हैं। टाटा मोटर्स 6 फीसदी, आरआईएल 3.5 फीसदी, टीसीएस 2.86 फीसदी और एचडीएफसी बैंक 2.85 फीसदी की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा।
कैटेगरी में भारी नुकसान से स्मॉलकैप इंडेक्स 4.27 फीसदी टूटा। यूक्रेन संकट के बीच ब्लू-चिप एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स 2.43 फीसदी की गिरावट के साथ 16,649.30 पर और एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स 2.50 फीसदी या 1,431.16 की गिरावट के साथ 55,800.90 पर कारोबार करते हुए दिखाई दिए। दोनों सूचकांकों में मार्च 2020 के बाद सबसे बड़ी गिरावट आते हुए देखी गई है।
क्या करें निवेशक
बाजार विश्लेशक विजयकुमार के मुताबिक मौजूदा समय में निवेशकों के पास लंबी अवधि की निवेश योजना है तो उन्हें निवेशित रहना चाहिए। इसके साथ ही म्यूचुअल फंड निवेशकों को निवेश को तोड़े बिना अपनी एसआईपी योजना जारी रखनी चाहिए।
दूसरी ओर, बड़ा सुधार निवेशकों को आकर्षक स्तरों पर अच्छी गुणवत्ता वाले शेयरों को लेने का मौका देगा। इतना ही नहीं निवेशकों को किसी भी बड़ी डील से पहले सामने आने वाली स्थिति का इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए। खरीदारी उन स्टॉक सेगमेंट तक ही सीमित रहनी चाहिए जो काफी मूल्यवान हैं या जिनकी कमाई अच्छी है।
आगे कितना जोखिम?
यूक्रेन संकट आगे बढ़ता है, तो बाजार में और तेजी आने की संभावना है क्योंकि तेल की कीमतें ऊंचे स्तर पर पहुंच सकती है। जबकि अमरीकी फेडरल रिजर्व भी अगले महीने ब्याज दरों में बढ़ोतरी और तरलता को सख्त करने पर निर्णय लेने के लिए बैठक कर रहा है।
एक और चिंता भारतीय अर्थव्यवस्था पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का प्रभाव है, जब मुद्रास्फीति आरबीआई के ऊपरी बैंड से ऊपर छह प्रतिशत के स्तर पर है।
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