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इस साल मानसून में देरी के कारण खरीफ फसलों की बुवाई पिछड़ गई है। आंकड़ों के अनुसार देश में 129.53 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई की जा चुकी है। पिछली साल यह आंकडा 135.66 लाख हेक्टेयर था। इस तरह खरीफ फसलों की बुवाई पिछले साल की तुलना में 4.45 फीसदी कम हुई है। जून में बुवाई में 49 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। थी। अब तक करीब 10.77 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हो चुकी है, जो पिछली समान अवधि के रकबा 16.46 लाख हेक्टेयर से करीब 34 फीसदी कम है। कपास की बुवाई 14.20 फीसदी घटकर 28 लाख हेक्टेयर दर्ज की गई है।
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दलहन फसलों की बुवाई बढ़ी
दलहन फसलों के रकबे में मई आखिर तक करीब 57 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन, पिछले दिनों फसलों की बुवाई ने फिर जोर पकड़ा है। अब तक 6.54 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुवाई की जा चुकी हैं, जो पिछली समान अवधि के दलहन रकबा 6.30 लाख हेक्टेयर से 3.80 फीसदी अधिक है। हालांकि, अरहर और उड़द की बुवाई में 65 और 14 फीसदी की कमी आई है। लेकिन, मूंग का रकबा करीब 41 फीसदी और अन्य दलहन का रकबा 62 फीसदी बढ़ने से कुल दलहन की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है। तिलहन फसलों के कुल रकबे में 3.30 फीसदी की गिरावट आई है। अभी तक 9.21 लाख हेक्टेयर में तिलहन फसलों की बुवाई की जा चुकी हैं, पिछली समान अवधि में यह आंकड़ा 9.52 लाख हेक्टेयर था। लेकिन, मूंगफली की बुवाई 13.30 फीसदी बढ़कर 7.68 लाख हेक्टेयर हो गई।
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अनाज की बुवाई 38 फीसदी बढ़ी
अब तक 18.95 लाख हेक्टेयर में अनाज की बुवाई हो चुकी है, जो पिछले समान अवधि में 13.38 लाख हेक्टेयर से करीब 38 फीसदी अधिक है। अनाज बुवाई में वृद्धि का प्रमुख कारण बाजरे की बुवाई कई गुना बढ़ना है। अब तक 9.81 लाख हेक्टेयर में बाजरा बोया जा चुका है, जबकि पिछली समान अवधि में यह आंकडा महज 2.26 लाख हेक्टेयर था। ज्वार की बुवाई में 42.60 फीसदी, मक्के की बुवाई में 22.40 फीसदी और छोटे मिलेटस की बुवाई में 12.50 फीसदी गिरावट दर्ज की गई।
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