नवंबर-दिसंबर में कुछ राज्यों में होने वाले चुनाव को देखते हुए तेल विपणन कंपनियां अगस्त से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 4 से 5 रुपए प्रति लीटर की कटौती कर सकती हैं। जेएम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज ने एक शोध में कहा कि तेल कंपनियों का मूल्यांकन ठीक ठाक प्रतीत होता है, लेकिन ईंधन विपणन व्यवसाय में कमाई पर महत्वपूर्ण अनिश्चितता बनी हुई है। ओपेक प्लस की मजबूत मूल्य निर्धारण शक्ति अगले 9 से 12 महीनों के दौरान कच्चे तेल की कीमत को बढ़ा सकती है।
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कच्चे तेल में तेजी से आय को खतरा
तेल कंपनियों को उम्मीद है कि कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल से नीचे बना रहेगा, हालांकि यह सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2023 की अंडर-रिकवरी की पूरी तरह से भरपाई पर निर्भर करेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि ओएमसी का मूल्यांकन ठीक ठाक है, लेकिन चुनाव के दौरान कच्चे तेल की कीमत में तेज उछाल से आय को खतरा हो सकता है। अगर ब्रेंट क्रूड की कीमत 85 डालर से अधिक हो जाती है और ईंधन की कीमत में कोई कटौती होती है, तो तेल कंपनियों की कमाई पर खतरा पैदा हो सकता है।
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ओएमसी की बैलेंस शीट दुरुस्त
नवंबर-दिसंबर में प्रमुख राज्यों में चुनावों को देखते हुए तेल कंपनियों को अगस्त से पेट्रोल और डीजल की कीमत में 4 से 5 रुपए प्रति लीटर की कटौती करने के लिए कहा जा सकता है, क्योंकि ओएमसी की बैलेंस शीट काफी हद तक दुरुस्त हो चुकी है और वित्त वर्ष 2024 में मजबूत मुनाफा दर्ज करने की संभावना है। हालांकि, रिपोर्ट में संभावित कटौती की समय—सीमा और मात्रा का उल्लेख नहीं किया गया है। यह इस बात पर निर्भर करेगा कच्चे तेल की कीमत क्या है और डॉलर के मुकाबले रुपए की क्या स्थिति है।
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