गोल्ड को हमेशा से ही भरोसेमंद साथी के रूप में देखा जाता रहा है। कई बार लोग अपनी फाइनेंशियल जरूरतों को पूरा करने के लिए गोल्ड लोन का सहारा लेते है। क्योंकि, यह सबसे ज्यादा आसान और सबसे कम समय में मिलने वाला लोन है। लेकिन, यह बात चांदी पर लागू नहीं होती है। क्योंकि, गोल्ड लोन की तरह देश में अभी सिल्वर लोन की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। इसका सबसे ज्यादा बोझ ग्रामीण लोगों और किसानों को उठाना पड़ता है। क्योंकि, चांदी के सबसे बड़े खरीदार ये ही लोग है। सिल्वर लोन की व्यवस्था नहीं होने के कारण मजबूरन अपनी फाइनेंशियल जरूरतों को पूरा करने के लिए इनके पास चांदी को बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है।
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क्या चाहते हैं ज्वैलरी मैन्युफैक्चरर
सर्राफा ट्रेडर्स कमेटी के अध्यक्ष कैलाश मित्तल का कहना है कि अगर सिल्वर लोन की शुरुआत होती है, तो बैंकों को तो फायदा होगा ही साथ ही, सिल्वर ज्वैलरी मैन्युफैक्चरर के साथ—साथ किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा। अभी तक बहुत सारे किसान मजबूरी में फसल बुवाई के समय चांदी बेचते हैं और फसल कटाई के बाद दोबारा इसकी खरीद करते है, जिसमें इन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता है।
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गहनों के अलावा यहां भी इस्तेमाल
मित्तल का कहना है कि चांदी भी अब सोने की तरह महंगी धातुओं की गिनती में आने लगी है। चांदी का आभूषणों के अलावा बड़े पैमाने पर औद्योगिक इस्तेमाल भी हो रहा है। चांदी के आभूषणों का विनिर्माण और उनका निर्यात वैसा ही है, जैसा सोने के गहनों का। ऐसे में अगर सेंट्रल बैंक कोई दिशानिर्देश तय करता है तो लोग नियमों का उल्लंघन नहीं कर पाएंगे।
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धीरे—धीरे बढ़ रही है मांग
सोने की तरह अब लोग चांदी को भी भरोसेमंद साथी के रूप में देखना चाहते है। बढ़ती जरूरतों को देखते हुए अब सिल्वर लोन के लिए भी लोगों ने आरबीआई और सरकार का दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया है। उनका कहना कि जिस तरह पढ़ाई और मेडिकल इमरजेंसी और अन्य आवश्यकताओं के लिए गोल्ड लोन लिया जा सकता हैं, ठीक उसी तरफ चांदी के बदले भी उन्हे सिल्वर लोन उपलब्ध करवाया जाए।
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