वैश्विक उथल—पुथल के कारण मांग कमजोर पड़ने से वस्त्र निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है। सबसे ज्यादा असर यूरोप और अमेरिका के बाजारों में मांग घटने के कारण हुआ है। हालांकि, कपास के मूल्यों में नरमी से जुलाई से गिरावट के रुझान में बदलाव आएगा। मई में वस्त्र और परिधान का निर्यात 281.639 करोड़ डॉलर था, जो एक साल पहले 320.643 करोड़ डॉलर था।राजस्थान हैण्डीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स जॉइंट फोरम के को-ऑर्डीनेटर नवनीत झालानी बताया कि करीब बीते एक साल से नकारात्मक वृद्धि जारी है। यह प्रमुख तौर पर मांग में गिरावट के कारण आई है। अभी यूरोप महंगाई का सामना कर रहा है। अमेरिका में उच्च ब्याज दर के कारण मांग में गिरावट आई है। अभी घरेलू मांग भी बहुत कम है। घरेलू और निर्यात के मांग में एकसाथ गिरावट आने के कारण वस्त्र और परिधान में गिरावट आई है।
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जुलाई के बाद से निर्यात में आएगी तेजी
कंफेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री का अनुमान है कि जुलाई के बाद से निर्यात में गति आएगी। इसका कारण यह है कि चीन का बाजार खुल गया है, सूत के दामों में नरमी आई है और बड़े देशों में महंगाई घट रही है। लिहाजा लोगों की खरीदने की क्षमता बढ़ेगी। अभी भी महंगाई पश्चिम के मानकों से अधिक है और अमेरिका में प्रोत्साहनों के हटने से महंगाई में इजाफा हुआ है। घरेलू बाजार में भी निरंतर गिरावट दर्ज हो रही है। बीते साल की तुलना में इस साल कच्चे सूत और अपशिष्ट आयात में भी गिरावट आई है। इसी तरह, टेक्सटाइल यार्न फेब्रिक और मेड अप का आयात बीते वित्त वर्ष के 2139.2 लाख डॉलर से 12 फीसदी गिरकर 1883.9 लाख डॉलर हो गया।
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