कुछ दिनों की राहत के बाद एक बार फिर जीरे के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। जीरे के वायदा भाव फिर पचास हजारी हो गए हैं। सरकार की ओर से जीरे के वायदा भाव थामने के लिए अतिरिक्त मार्जिन लगाने जैसी सख्ती का असर कुछ ही दिन रह पाया है। इस सख्ती के बावजूद जीरा फिर से महंगा होना शुरू हो गया है। पिछले महीने जीरे के भाव में नरमी देखी गई थी। लेकिन इस महीने जीरे के भाव चढ़ रहे हैं।
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निर्यात मांग में बढ़ोतरी, स्टॉक हुआ कम
मसाला कारोबारी रामअवतार अग्रवाल ने बताया कि पिछले महीने ऊंचे भाव पर मुनाफावसूली और अतिरिक्त मार्जिन जैसी सख्ती के कारण जीरे के भाव गिरे थे। लेकिन, अब इस महीने इसके भाव लगातार बढ़ रहे हैं। इसकी वजह निर्यात मांग बढ़ना है। जीरा 50 हजार रुपए के स्तर को पार कर चुका है। उत्पादन घटने के कारण मंडियों में पहले से ही आपूर्ति कमजोर है। पिछले साल उत्पादन 6.29 लाख टन था। इस साल यह घटकर 3.8 से 4 लाख टन रह सकता है। जीरे की इस समय निर्यात मांग भी अच्छी है। साथ ही, इस साल इसका स्टॉक भी कम रह सकता है। मांग के अनुरुप बाजार में सामान्य से कम आपूर्ति के कारण जीरे के भाव फिर से बढ़ने लगे हैं। इस महीने मंडियों में 7324 टन जीरे की आवक हो चुकी है, जो पिछले साल की समान अवधि में हुई आवक 8434 टन से करीब 13 फीसदी कम है।
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वायदा बाजार में आसमान पर पहुंचे दाम
जीरे का बेंचमार्क जुलाई कॉन्ट्रैक्ट ने 50,100 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर दिन का उच्च स्तर छू लिया। अगस्त कॉन्ट्रैक्ट तो 50,515 रुपए के स्तर को छू चुका है। इस महीने की पहली तारीख को जुलाई कॉन्ट्रैक्ट 44,930 रुपए के भाव पर बंद हुआ था। इस तरह इस कॉन्ट्रैक्ट के भाव इस महीने करीब 13 फीसदी बढ़ चुके हैं।
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