बीमा (Insurance) की दुनियाभर में काफी अहमियत है। भारत में भी अलग-अलग तरह के कई बीमा होते हैं। बीमा के कई फायदे होते हैं और इस वजह से हर वर्ग के लोग बीमा कराते हैं। जीवन हो, या व्हीकल हो, या स्वास्थ्य हो, या प्रॉपर्टी हो या फिर और कुछ, लगभग सभी का बीमा कराया जा सकता है। बीमा की वजह से किसी दुर्घटना में हुए नुकसान से क्ष्रतिपूर्ति मिल सकती है। ऐसे में बीमा काफी काम का माना जाता है। पर जल्द ही बीमा कराना महंगा हो सकता है।
बढ़ती महंगाई का असर पड़ सकता है बीमा पर
देश ही नहीं, दुनियाभर में कई चीज़ों की महंगाई पिछले कुछ समय से बढ़ रही है। हालांकि कुछ चीज़ों को महंगाई से राहत भी मिली है, पर कई चीज़ें महंगाई के असर से नहीं बची हैं। महंगाई का सबसे ज़्यादा असर आम आदमी पर पड़ता है और अब संभावना है कि आम आदमी पर महंगाई का एक और बोझ बढ़ने वाला है। यह बोझ महंगे बीमा का हो सकता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार आशंका है कि आने वाले समय में बढ़ती महंगाई का असर बीमा पर भी पड़ सकता है।
बीमा के महंगा होने की क्या हो सकती है वजह?
दरअसल मोटर सहित कई अन्य बीमा का प्रीमियम 10% से 15% तक महंगा हो सकता है। ग्लोबल पुनर्बीमा कंपनियों ने बीमा कंपनियों के लिए पुनर्बीमा के लिए प्रीमियम दरों में 40% से 60% तक इजाफा किया है। इससे भारतीय कंपनियों और मोटर वाहन मालिकों के लिए बीमा लागत में इजाफा होना तय है। इतना ही नहीं, पुनर्बीमा लागत बढ़ने से थर्ड पार्टी बीमा भी 10% से 15% तक महंगा हो सकता है।
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पुनर्बीमा दरें बढ़ने की क्या है वजह?
दरअसल पश्चिमी देशों के केंद्रीय बैंकों ने एक साल में ब्याज दरों में 5% तक इजाफा किया है। इससे ग्लोबल पुनर्बीमा कंपनियों ने लागत में इजाफा किया है। हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन की अनिश्चितता भी बढ़ गई है। इससे भी पुनर्बीमाकर्ताओं को भारी नुकसान हुआ है जिससे उन्हें लागत में इजाफा करना पड़ा है। साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध की घटनाओं के चलते भी बीमा इंडस्ट्री के लिए नुकसान बढ़ गया है। इसलिए पुनर्बीमा कंपनियों ने दरें बढ़ा दी हैं।
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